How to Learn Computer in Hindi

How to Learn Computer in Hindi
आप कंप्यूटर सीखना तो चाहते है लेकिन हिंदी में नेट पे बहुत कम लेख उपलब्ध होने के कारण सीख नहीं पा रहे है तो.....
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"Marshmallow" New android Version "मार्शमैलौ" होगा एंड्राइड का नया वर्ज़न

Posted By: Dharmendra Goyal - 9:25 pm


लोलीपोप के बाद गूगल ने एंड्राइड का नया वर्जन मार्शमैलौ के नाम से लांच किया है । जैसा की गूगल ने हमेशा एंड्राइड का अपडेटेड वर्जन अल्फाबेट क्रम में उतारा है और इसी क्रम को बनाये रखते हुए अपना लेटेस्ट एंड्राइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लॉच किया हैं । 

आओ जाने मार्शमैलौ क्या है ? 
मार्शमैलौ एक शुगर कैंडी होती है जो की छोटे छोटे सीलेंड्रिकल शेपस में होती है ।

एंड्राइड के पुराने पॉपुलर वर्जन :


  1. Cupcake
  2. Donut
  3. Éclair
  4. Froyo
  5. Gingerbread
  6. Honeycomb
  7. Ice Cream Sandwich
  8. Jelly Bean
  9. Kit Kat
  10. Lollipop


and now ......... "Marshmallow"

अल्ट्राबुक : Ultrabook

Posted By: Dharmendra Goyal - 2:32 pm


अगर आप भी अल्ट्राबुक खरीदना चाहते हैं, तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। जानते हैं इन बातों के बारे में।

टचपैड- 
अल्ट्राबुक के निर्माताओं ने इसे ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इसमें बटनलेस टचपैड को प्राथमिकता दी है। हालांकि प्रोफेशनल वर्क में यह ज्यादा मददगार साबित नहीं होता। खासकर इस पर टाइपिंग करने में खासी परेशानी आती है। इसलिए जब आप अल्ट्राबुक खरीदने जाएं, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें। आप अपनी अंगुलियों से टचपैड को स्क्रॉल करके देख लें, ताकि बाद में परेशानियों से जूझना न पड़े। अगर आपको टचपैड से कोई समस्या नहीं है, तो इसे खरीद सकते हैं।

स्पीड या स्टोरेज- 
कुछ निर्माता ग्राहकों को इंकॉपरेरेट हाइब्रिड सिस्टम बेचने की कोशिश करते हैं। इनमें मेमोरी तो ज्यादा रहती है, लेकिन यह काम बहुत धीमे करती हैं। खासकर जब आप किसी फाइल को कॉपी कर रहे होते हैं, तो कतई नहीं लगता कि इसमें सॉलिड स्टेट ड्राइव जैसा कुछ है। अब यह आपके ऊपर है कि आपकी जरूरत क्या है? स्पीड या फिर स्टोरेज? यदि आपको ज्यादा स्टोरेज की जरूरत नहीं है और आप तेज काम करना चाहते हैं, तो आपकी जरूरत एसएसडी ही है, जो सिर्फ अल्ट्राबुक में ही उपलब्ध है।

न भूलें पोर्ट्स लेना- 
जब आप अपने कैमरे से एसडी कार्ड के जरिए फोटो या वीडियो अल्ट्राबुक में ट्रांसफर करते हैं, तो आसानी होती है, लेकिन अगर आप एसडी कार्ड के बजाय किसी और डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको समस्या पेश आती है। ऐसे में अगर आफ बिजनस ट्रैवलर हैं, तो निश्चित तौर पर आप अपने डिवाइस को अपने काम के मुताबिक ही खरीदते हैं। ऐसे में अल्ट्राबुक खरीदते वक्त इंटरनेट पोर्ट और वीजीए पोर्ट लेना न भूलें, क्योंकि ये बेहद काम की चीज हैं।

बैटरी लाइफ- 
आमतौर पर अल्ट्राबुक की बैटरी सील ही आती है। आप बाद में इसे रिप्लेस नहीं कर सकते हैं, इसलिए आपको ज्यादा पावर वाली बैटरी ही लेनी चाहिए। आमतौर पर दुकानदार बैटरी लाइफ को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और होती है। यदि आपको 6 या 7 घंटे बैटरी बैक-अप की गारंटी मिले, तो इसे आप अच्छा मान सकते हैं।

डिजाइन- 
पोर्टेबिलिटी के लिहाज से अल्ट्राबुक को उपयुक्त डिवाइस माना जाता है। अल्ट्राबुक का बैकलिट की-बोर्ड कम रोशनी में भी टाइपिंग को आसान बनाता है। इसका एल्यूमिनियम और कार्बन फाइबर बॉडी का स्लिम लुक लोगों को काफी भाता है।

स्क्रीन साइज व रिजोल्यूशनशुरुआत में जब अल्ट्राबुक को बाजार में पेश किया गया, तो इसकी स्क्रीन 13 इंच की थी, लेकिन अब अल्ट्राबुक की जो नई रेंज आ रही है, उसमें आपको 14 से 15 इंच की स्क्रीन मिल जाएगी। स्क्रीन साइज के साथ-साथ उसके रिजोल्यूशन पर भी ध्यान देना जरूरी है। पहले के 1366 गुणा 768 के मुकाबले 1600 गुणा 900 पिक्सल रिजोल्यूशन काफी बेहतर रहेगा।

Google Wallet : गूगल वॉलेट

Posted By: Dharmendra Goyal - 5:30 pm


गूगल के वाइस प्रेसीडेंड ओसामा बेदीर ने अपने ऑफिशियल ब्लॉग पर बताया है कि हमने इस एप्लीकेशन की बहुत बड़े स्तर पर जांच की है और हम इसका पहला वर्जन रिलीज़ कर रहे हैं। 

गूगल वालेट का पहला वर्जन फिलहाल सिर्फ 4जी फोन पर उपलब्ध है। यदि आपके फ़ोन में 4 जी सुविधा है तो आप भी इसका फायदा उठा सकते है ।

उन्होंने यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि गूगल वॉलेट को इस्तेमाल करने के बाद आपको अपने पुराने स्टाइल वाले वॉलेट से छुटकारा मिल जाए। इस एप्लीकेशन के ज़रिए यूज़र्स सिटी मास्टर कार्ड, क्रेटिड कार्ड और गूगल प्रीपेड कार्ड के जरिए बिलों का भुगतान कर सकेंगे।

इसके इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स को साल के अंत में गूगल कार्ड पर कुछ बोनस भी मिलेगा। इस एप्लीकेशन के आगे के वर्जन में पेमेंट सिस्टम में वीसा, अमेरिकन एक्प्रेस भी शामिल होगा।

सोशल नेटवर्किंग साइट (फेसबुक) पर बिजनेस कनेक्शंस कैसे बनाये

Posted By: Dharmendra Goyal - 9:36 am


अगर आप बिजनेस से बेहतर रिजल्ट्स चाहते हैं, तो फेसबुक अकाउंट इसमें आपकी मदद कर सकता है। जी हां, इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर बिजनेस कनेक्शंस भी बना सकते हैं। गौरतलब है कि तमाम छोटे- बड़े     ऑर्गनाइजेशंस फेसबुक समेत दूसरी नेटवर्किंग साइट्स की मदद से अपने बिजनेस का प्रमोशन कर रहे हैं।

क्यों हो रहा है पॉपुलर
फेसबुक पर इस वक्त करीब 800 मिलियन यूजर्स रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में अपने प्रॉडक्ट्स को इतने लोगों के सामने पेश करने का इससे बेहतर जरिया और कोई हो भी नहीं सकता। फेसबुक की ग्लोबल कम्यूनिकेशंस मैनेजर कुमिको हिदाका कहती हैं, 'फेसबुक पर ऐड्स लोगों के इंटरेस्ट्स को देखते हुए प्लेस की जाती हैं। ऐसे में, व्यक्ति को यह पता रहता है कि वह किस तरह के कस्टमर को किस जगह पर टार्गेट कर रहा है। इस तरह, वह अपनी सर्विसेज की डिमांड वाले कस्टमर ग्रुप तक पहुंच सकता है।'

बजट फ्रेंडली
अगर एडवर्टाइजिंग को लेकर आपका बजट लिमिटेड है, तो भी फेसबुक इस मामले में आपकी हेल्प करेगा। दरअसल, अलग-अलग इंटरेस्ट वाले लोगों का अकाउंट यहां होने की वजह से यहां हर तरह के बिजनेस के लिए पूरा स्कोप है। ऐसे में, शुरुआत में कुछ हजार से ही काम चलाया जा सकता है। आप अपनी स्पेसिफिकेशंस तय करने के बाद उसी हिसाब से बजट तय कर सकते हैं, तो फ्रेंड्स के रेफरल भी इस मामले में बहुत काम करते हैं। यही नहीं, प्रॉडक्ट्स के ऑनलाइन कॉन्टेस्ट्स भी चलाए जा सकते हैं।

फीडबैक का फायदा
नेटवर्किंग साइट्स पर आपकी पोस्ट को तुरंत फीडबैक मिल जाता है। लोगों की विजिट्स और कमेंट्स इस बात का सबूत होते हैं कि आपके ऐड्स और प्रॉडक्ट्स पसंद किए जा रहे हैं या नहीं। अगर यह हिट हो जाए , तो इसे और एक्स्प्लोर किया जा सकता है। वरना कमजोर होने के केस में इंस्टैंट मॉडिफिकेशंस पर ध्यान देना होता है। गौरतलब है कि एक टेलिकम्यूनिकेशन कंपनी का ' सेव द टाइगर ' कैंपेन फेसबुक पर खूब पॉपुलर हुआ। फिर अन्ना हजारे के साथ भी फेसबुक का मजबूत साथ रहा।

स्पेशल बेनेफिट्स
लिमिटेड लोगों तक पहुंच के चलते कंवेंशनल मीडिया आज के दौर में पुरानी बात हो चुकी है। ऐसे में , डिजिटल मीडिया को काफी भाव मिल रहा है। ' कम्यूनिकेट 2' के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक भार्गव कहते हैं , ' फ्रीक्वेंसी और मल्टिमीडिया की फैसिलिटी डिजिटल मीडिया की बहुत बड़ी कमी थी। यही वजह है कि इस कमी को पूरा करने वाली साइट्स पर जैसे ही एडवर्टाइजर्स की नजर पड़ी , वैसे ही यहां ऐड ब्लास्ट हो गया। '

ऐसे बनाएं परफेक्ट बिजनेस अकाउंट
प्रोफाइल मैनेज करें
  • अपना प्रोफाइल सही तरह कंप्लीट करें।
  • प्रॉपर फीडबैक के लिए सही एप्लिेकेशंस इंस्टॉल करें।
  • सेटिंग्स में पर्सनल इंफॉर्मेशन का पार्ट प्राइवेट कर दें।
  • ब्रैंड की सही इमेज के लिए अपनी प्रफेशनल व पर्सनल कैजुअल पिक्चर्स पोस्ट करें।

दूसरों से कनेक्टिविटी
  • फेसबुक वैनिटी यूआरएल लें , ताकि लोग आपको आसानी से सर्च कर सकें।
  • अपने फेसबुक यूआरएल को अपने ई - मेल में बतौर सिग्नेचर एड करें।
  • अपनी क्रेडिबिलिटी बढ़ाने के लिए अपने बिजनेस से जुड़े आर्टिकल्स और इंटरेस्टिंग इंफॉर्मेशन दें।
  • फेसबुक अकाउंट को ट्विटर जैसे दूसरे सोशल मीडिया टूल से जोड़ें।
  • कहीं भी जाने से पहले कनेक्टेड लोगों की लोकेशंस चेक कर लें। अगर हो सके , तो वहां उनसे मिलकर आएं।
  • ज्यादा कनेक्शंस ढूंढने के लिए अपने ई - मेल से कॉन्टैक्ट्स अपलोड कर लें।
  • फ्रेंड्स लिस्ट में म्यूचुअल कॉन्टैक्ट्स तलाशें।
  • अपने फील्ड के एक्सपर्ट को आप अपने ब्लॉग पर गेस्ट ब्लॉगर बना सकते हैं।
  • सही ऑडियंस तक पहुंचने के लिए फेसबुक ऐड्स खरीद सकते हैं।

नेटवर्क , ग्रुप और फैन पेज का यूज
  • किसी प्रॉडक्ट , ब्रैंड या बिजनेस के लिए ग्रुप या फिर फैन पेज बना सकते हैं।
  • यहां आप कंपनी की बेसिक इंफॉर्मेशन मसलन कंपनी की साइट का लिंक , न्यूज लेटर वगैरह पोस्ट कर सकते हैं।
  • बिजनेस से रिलेटिड नेटवर्क , इंडस्ट्री और एलुमनी ग्रुप्स जॉइन करें। इन्हें आप आराम से सर्च कर सकते हैं।

सुपर लैपटॉप

Posted By: Dharmendra Goyal - 9:01 pm
टेक्नोलॉजी की दुनिया तेजी से बदलती जा रही है और इसमें नित नए अविष्कार हो रहे हैं। सुपर कंप्यूटर के बाद अब रहा है सुपर लैपटॉप जिसे अल्ट्राबुक का नाम दिया गया है।

यह बेहद हल्का और प्रभावशाली है तथा इसकी बैटरी बहुत ताकतवर है। इस अल्ट्राबुक का स्क्रीन 11 से 13 इंच तक का है। इसके पास कैलकुलेट करने की क्षमता बहुत ज्यादा है।



ताइवान की कंपनी एसस इस अल्ट्राबुक को बारत में लांच करेगी। इसे यूएक्स 21 का नाम दिया गया है और यह अगले साल के शुरू में भारत में उतरेगी। इसकी कीमत एक हजार डॉलर यानी 45,000 रुपए होगी। एशर भी एक अल्ट्राबुक लांच करेगी।



इस अल्ट्राबुक में इंटेल का चिप लगा हुआ है जो बेहद आधुनिक और तेज रफ्तार है। यह सुपरलैपटॉप बाजार में बिक रहे लैपटॉप से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है।

इंटरनेट से मिल सकती है डिप्रेशन से लड़ने में मदद

Posted By: Dharmendra Goyal - 12:33 am
एक स्टडी में कहा गया है कि टीनएजर्स को डिप्रेशन से लड़ने में इंटरनेट से काफी मदद मिल सकती है। यह स्टडी सिडनी यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के रिसर्चर डॉक्टर सुवेना सेठी और उनके सहयोगियों ने की। 

स्टडी में उन्होंने पाया कि टीएनएजर्स की मेंटल हेल्थ को सुधारने में इंटरेक्टिव ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्सेज और टे्रडिशनल काउंसलिंग मददगार साबित हो सकती है। स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में रह रहे कम उम्र के लोगों को हल्के और मध्यम स्तर के डिप्रेशन से निपटने में इंटरनेट से मदद मिल सकती है। इस काम में ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्स (स्टैटिक और इंटरेक्टिव) असरदार साबित हो सकते हैं। 
'सेल्फ-हेल्प फॉर डिप्रेशन' नाम की इस स्टडी में मौजूदा ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्स का मूल्यांकन किया गया है, ताकि इसका इलाज के विभिन्न तरीकों में इस्तेमाल किया जा सके। स्टडी टीम मेंबर डॉक्टर एंड्र्यू कैंपबेल ने कहा- हल्के और मध्यम स्तर के डिप्रेशन से बचाव और इसके मैनेजमेंट के लिए हर इनोवेटिव ऑनलाइन अप्रोच को दुनिया भर में आजमाया जा रहा है। इस स्टडी की रिपोर्ट 'जर्नल ऑफ टेक्नॉलजी इन ह्यूमन सर्विसेज' में प्रकाशित हुई है। एंड्रू कैंपबेल ने कहा कि हमारे रिसर्च के मुताबिक टीनएजर्स के लिए डिप्रेशन ट्रीटमेंट का बेस्ट तरीका ऑफलाइन काउंसलिंग के साथ-साथ ऑनलाइन सेल्फ हेल्प टूल्स का इस्तेमाल है।

मॉनिटर से आजाद हुआ कंप्यूटर : Microsoft & Others

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:09 pm



अगर आप किसी होटल या दफ्तर में लोगों को टेबल की चमचमाती सतह पर इधर-उधर उंगलियां चलाते देखें तो चौंकें नहीं। दरअसल यह टेबल एक खास तरह का कंप्यूटर है, जिसे 'माइक्रोसॉफ्ट सरफेस' कहा जाता है। इसके अंदर पूरा-का-पूरा ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद है और उसकी ऊपरी सतह पर ठीक वैसी ही स्क्रीन है, जैसी आपके मॉनिटर में होती है। 

'सरफेस' घिसे-पिटे और पुराने डिजाइनों की गुलामी से आजाद होने की कंप्यूटर की छटपटाहट का नतीजा है। आखिर क्यों कंप्यूटर सिर्फ चार चौकोर दीवारों के भीतर सिमटा रहे? ऐसे और भी कई प्रयोग हुए हैं जिनमें कंप्यूटर को ज्यादा दिलचस्प, ज्यादा आकर्षक और यूजर की जरूरतों के अधिक अनुकूल बनाने की कोशिश की गई है। 



माइक्रोसॉफ्ट सरफेस : 

टेबल जैसे इस कंप्यूटर में आई-फोन में इस्तेमाल होने वाली मल्टी-टच तकनीक है। उसकी स्क्रीन पर मौजूद आइकंस को उंगलियों से दबाने पर एप्लिकेशन खुल जाते है। इसके अलावा, आप किसी भी फाइल के आइकन को ड्रैग करके दूसरी जगह पर ले जा सकते हैं। आम कंप्यूटर में माउस को सिर्फ एक ही जगह पर क्लिक किया जा सकता है, जबकि इसमें 30 इंच लंबे 'सरफेस' की स्क्रीन को अनेक जगहों पर एक साथ छूकर कमांड्स दी जा सकती हैं। यह मल्टी-टच है और इसे एक साथ बहुत से लोग यूज कर सकते हैं। स्क्रीन पर कैमरा रखकर उसके फोटोग्राफ कंप्यूटर में ट्रांसफर किए जा सकते हैं। यह म्यूजिक प्लेयर और मोबाइल फोन जैसी बाकी डिजिटल तकनीकों को भी पहचानता है, जिन्हें सरफेस पर रखकर कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता है। सरफेस की कीमत करीब 12 हजार डॉलर (6 लाख रुपये) है।
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यूनो पीसी : 
कॉफी मग के आकार वाले इस कंप्यूटर में सचमुच कॉफी भी पी जा सकती है। मग की बाहरी दीवारों पर वह सब मौजूद है, जो आम कंप्यूटरों में होता है। खूबसूरत-सी दिखने वाली स्क्रीन पर फैले ईमेल, स्टॉक मार्केट अपडेट्स, खबरें, टाइम, ट्रैफिक आदि के आइकंस सिर्फ दिखावटी नहीं हैं। टच स्क्रीन वाले इस अनोखे कंप्यूटर पर आप न केवल खबरें और ब्लॉग पढ़ सकते हैं बल्कि स्क्रीनसेवर और वीडियो का मजा भी ले सकते हैं। 
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ब्लूम पीसी : 
अब लीजिए एक ऐसा कंप्यूटर, जिसमें कोई स्क्रीन ही नहीं है। ब्लूम पीसी में की-बोर्ड के अलावा अगर कुछ दिखता है तो सिर्फ तीन स्तंभ या शाखाएं, जिनके बीच खाली स्पेस में लेजर बीम्स के जरिए 2-डी और 3-डी पिक्चर बनाई जाती हैं और यही इसकी स्क्रीन होती है। इतने क्लीयर पिक्चर आपको किसी भी कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई नहीं देंगे। खासकर ग्राफिक आर्टिस्ट्स और फोटोग्राफरों के लिए तो यह बहुत काम का है। तीनों स्तंभों को आगे पीछे करके आप स्क्रीन साइज भी बदल सकते हैं। दोनों स्तंभों के अदंर साउंड सिस्टम मौजूद है। इसमें की-बोर्ड और स्टाइलस के जरिए काम होता है। इस 'कंप्यूटर' में बायोमीट्रिक सिस्टम लगा है, यानी यह आपको पहचान भी सकता है। 





ईईई की-बोर्ड पीसी : 
यह कंप्यूटर की-बोर्ड के ही अदंर है जिसका नाम 'ईईई की-बोर्ड पीसी' है। इसमें वायरसलैस कनेक्टिविटी और होम थिएटर भी है। इसके की-बोर्ड के अदंर मौजूद पांच इंच की स्क्रीन वाले इस कंप्यूटर में 1.6 गीगाहर्ट्स का एटम माइक्रोप्रोसेसर, एक जीबी रैम, 32 जीबी का हार्ड डिस्क के अलावा वाई-फाई, ब्लूटूथ, यूएसबी पोर्ट और ऑडियो इनपुट-आउटपुट भी है। 
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पेनटॉप भी : 
अमेरिका की 'लीप-फ्रॉग' कंपनी के फ्लाई वर्ल्ड 'पेनटॉप' कंप्यूटर में पेन जैसा दिखने वाला कंप्यूटर और डिजिटल पेपर होता है। पेन से लिखी गई चीजों को यह इनपुट के रूप में लेता है और साउंड के रूप में आउटपुट देता है। जैसे पांच गुणा सात लिखने पर पेनटॉप बोल उठता है : थर्टी फाइव। पेनटॉप इंग्लिश के शब्दों को फ्रेंच, स्पेनिश आदि भाषाओं में बदलकर उनका एकदम सही उच्चारण भी सुनाता है। जो लोग टाइप किए बिना कंप्यूटर पर काम करना चाहते हैं वह इससे लिखे गए वाक्यों को सीधे माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड में ट्रांसफर कर सकते हैं। खाली समय में आप इसमें दिए मजेदार गेम्स भी खेल सकते हैं। यह इंटरनेट से भी कनेक्ट हो जाता है। आप इसका यूज गाने डाउनलोड कर एमपी-3 प्लेयर की तरह भी कर सकते हैं। 
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भाषा सहयोग : बालेन्दु भाई (नवभारत टाइम्स) 

resting your hand on the new mouse?

Posted By: Dharmendra Goyal - 10:55 pm
लंदन. कैनन कंपनी ने लेजर तकनीक से चलने वाला एक ऐसा माउस बनाया है, जिसमें कैल्कुलेटर की तरह नंबर पैड बना है। अकाउंट्स का काम करने वालों को इससे हिसाब करने में आसानी होगी। हिसाब ब्लूटूथ के जरिए कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सकेगा।  यह बाजार में 40 पाउंड (2930 रु.) में उपलब्ध है।
News also in English

The new Canon mouse features laser tracking, Bluetooth 2.0 connectivity, three separate buttons, and a scroll-wheel. Worried about accidentally pressing numbers while resting your hand on the new mouse? Canon thought of that too, implementing a user-locking system to avoid such complications. It also features a built-in high-resolution, ten-digit display.

Users can use the mouse as a standalone calculator or paired with their computer as a number pad for entering numbers into spreadsheets and other documents.

The Canon X MARK I MOUSE is compatible with both PC and Mac. It will be released sometime in November of this year in the United Kingdom. Currently, there is no available information on US pricing and release date.

नेट के दीवाने टीनएजर

Posted By: Dharmendra Goyal - 12:34 pm
इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में डिप्रेशन का खतरा दोगुने से भी ज्यादा होता है। एक स्टडी में पहली बार दावा किया गया कि इसकी वजह से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। 

अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार पहले के अध्ययनों में यह पता नहीं लगाया जा सका था कि इंटरनेट पर कितने घंटे काम करने से डिप्रेशन का खतरा पैदा हो सकता है। चीन में 15 साल की उम्र वाले एक हजार किशोरों पर डिप्रेशन और चिंता का अध्ययन किया गया। 

इसके तहत कुछ इस तरह के सवाल पूछे गए- जब आप इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे होते हैं तो कितनी बार अपने आपको डिप्रेशन चिड़चिड़ापन या बेचैनी से घिरा हुआ पाते हैं? करीब 6 फीसदी या 62 किशोरों को ऐसी श्रेणी में रखा गया जो इंटरनेट के उपयोग के चलते मामूली रूप से प्रभावित हैं, जबकि 0.2 फीसदी या दो किशोरों में इससे गंभीर खतरा देखा गया। नौ महीने बाद इनमें डिप्रेशन और चिंता का दोबारा टेस्ट किया गया। 8 फीसदी से ज्यादा या 87 टीनएजर डिप्रेशन की चपेट में आ गए थे। 

रिसर्चरों ने कहा कि इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में अवसाद करीब ढाई गुना ज्यादा खतरा रहता है। ऑस्टेलिया में सिडनी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के लॉरेंस लाम और चीन में शिक्षा मंत्रालय के जी-वेन पेंग व गुआंगजोउ यूनिवसिर्टी के सन यात-सेन ने इस स्टडी की अगुआई की। लाम ने कहा कि इसके नतीजे से साफ है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्त किशोर भी यदि इंटरनेट की लत का शिकार हो जाते हैं तो उनमें बाद में ये समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

स्पैम और जंक मेल्स

Posted By: Dharmendra Goyal - 7:34 pm
स्पैम और जंक मेल्स फैलाने वाले देशों की लिस्ट में भारत का स्थान दूसरा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो भारत में बढ़ते इंटरनेट यूजर्स देश को स्पैम फैलाने वाले देशों की लिस्ट में नंबर वन पर पहुंचा देंगे। 
पिछले दिनों एक कंपनी के सर्वे में पाया गया कि सबसे ज्यादा जंक और स्पैम मेल्स जनरेट करने वाले देशों में हमारा नंबर दूसरा है। यानी हम, आप सब जमकर स्पैम मेल भेजते रहते हैं। दुनिया भर के बिजनेस कम्यूनिकेशन में से 97 पर्सेंट स्पैम होता है और भारत इसमें से 7.3 फीसदी स्पैम के लिए जिम्मेदार है। 

साइबर कम्यूनिकेशन कंसलटेंट  इस परेशानी को कुछ अलग नजरिए से देखते हैं। वह कहते हैं, 'स्पैम मेल के मामले में हमारे देश के दूसरे स्थान पर पहुंचने से परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, यह इस बात का संकेत है कि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने लगे हैं।' 

इस प्रॉब्लम से निजात पाने का तरीका पूछने पर वह बताते हैं, 'अगर आपने अपने सिस्टम में एंटी वायरस लगा रखा है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आप सिर्फ माउस से क्लिक करके सभी गैर जरूरतमंद मेल्स को डिलीट कर सकते हैं।'

टचस्क्रीन कियॉस्क : Intel

Posted By: Dharmendra Goyal - 4:52 pm
ऑनलाइन शॉपिंग को आसान बनाने के लिए इंटेल कॉपरेरेशन ने एक टचस्क्रीन कियॉस्क बनाया है। यह मशीन आपको प्रोडक्ट की सूची, खासियतें और रिटेल स्टोर की जानकारी देगी। इसके बाद आप अपनी पसंद के प्रोडक्ट का चुनाव कर कार्ड या सेलफोन के जरिए भुगतान कर सकेंगे। 

कियॉस्क पर आपको कई ऐसे प्रोडक्ट के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो हाल में पेश किए गए हैं। यह कियॉस्क यूजर को प्रोडक्ट के गुण-दोषों का आकलन कर अपना सुझाव भी देता है। इंटेल ने अपने मशहूर कोर-टू-ड्यो प्रोसेसर की मदद से इस कियोस्क को बनाया है। शॉपिंग मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर में यह कैश रजिस्टर का भी काम कर सकता है।

आईपीवी 6 वर्जन लाना होगा

Posted By: Dharmendra Goyal - 4:48 pm
वेबसाइटों के लिए सुरक्षित आईपी एड्रेस बुक 94 फीसदी भर चुका है। इसके चलते जल्द ही एक नए इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन (आईपीवी) 4 में नए आईपी एड्रेस के लिए 32 बिट के नंबर सिस्टम का प्रयोग होता है। इससे चार अरब कॉम्बिनेशंस तैयार किए जा सकते हैं। 

इसके भर जाने पर तकनीशियनों को आईपीवी 6 वर्जन लाना होगा। यह 126 बिट का होगा, जिससे कॉम्बिनेशंस की संख्या भी बढ़ जाएगी। अमेरिकन रजिस्ट्री फॉर इंटरनेट नंबर्स के मुख्य कार्यकारी जॉन करेन के अनुसार, नए आईपीवी 6 को अपनाने के लिए दुनियाभर के देशों को राजी करना एक बड़ी चुनौती है।

ओलिव पैड : India's First 3G tablet

Posted By: Dharmendra Goyal - 3:20 pm
नेटबुक और मोबाइल बाजार में मौजूद कंपनी ओलिव ने आई-पैड जैसा अपना प्रॉडक्ट ओलिव पैड लॉन्च किया है। यह भारत की पहली 3जी टैब्लेट डिवाइस है। खास बात यह है कि इस डिवाइस से आप विडियो और वॉइस कॉल भी कर सकते हैं, जोकि आई-पैड से मुमकिन नहीं है। हालांकि पूरी तरह से इसकी तुलना आई-पैड से करना ठीक नहीं होगा, क्योंकि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के मामले में एपल के आगे बड़ी नामी कंपनियां भी टिक नहीं पातीं लेकिन ओलिव पैड की हमने जो शुरुआती झलक देखी, उसमें टचस्क्रीन समेत बाकी फीचर बुरे नहीं थे। कंपनी का कहना है कि इसके दाम 25 हजार से कम रेंज में रखे जाएंगे। 

7 इंच स्क्रीन साइज वाली इस डिवाइस के लुक आई-पैड (स्क्रीन साइज 9.7 इंच) जैसे तो नहीं है लेकिन इसे कूल कहा जा सकता है। इसे आप टच नोटबुक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। ओलिव पैड में एंड्रॉयड 2.1 वर्जन को ऑपरेटिंग सिस्टम के तौर पर रखा गया है। 

अक्टूबर के दौरान यह एंड्रॉयड 2.2 में अपग्रेडेबल होगा। इसके अलावा इसमें दो कैमरे हैं, बैक कैमरा 3 मेगापिक्सल का और विडियो कॉल के लिए फ्रंट कैमरा वीजीए। आप इसे वाई-फाई से कनेक्ट करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें इंटरनेट सर्फिंग, ई-बुक्स, विडियो गेम्स और म्यूजिक के लिए अच्छे फीचर हैं। जब तक 3जी नहीं आती, तब तक आप EDGE (2.5जी) और वाई-फाई से इसे कनेक्ट कर सकते हैं। 

जीपीएस से लैस इस डिवाइस को नेविगेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें आपको फ्लैश सपोर्ट मिलेगा और यूएसबी पोर्ट भी दिए गए हैं। इसकी इनबिल्ट मेमरी 512 एमबी है और एक्सटेंडबल कार्ड से मेमरी 32 जीबी तक बढ़ाई जा सकती है। ओलिव पैड अगस्त से बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। किसी नेटवर्क की बंदिश नहीं है।

इंटेल के कोर आई 7, कोर आई 5 और कोर आई 3 प्रॉसेसर में क्या अंतर है?

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:48 pm
कोर आई 7 

  • यह प्रॉसेसर 2008 में आया। 
  • हाइपर थ्रेडिंग को सपोर्ट करता है। 
  • बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर, ट्रिपल चैनल 
  • टर्बो मोड उपलब्ध है। 
  • ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर मौजूद नहीं है। 
  • कम पावर इफिशिएंट है। 
  • स्पीड बहुत अच्छी देता है, लेकिन बहुत महंगा है। इसे केवल खास मकसदों के लिए ही यूज किया जाता है। 
कोर आई 5 

  • इसे 2009 में लॉन्च किया गया। 
  • हाइपर थ्रेडिंग को सपोर्ट नहीं करता। 
  • बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर, ड्यूअल चैनल 
  • बड़ा टर्बोमोड मौजूद है। 
  • ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर कुछ मॉडल्स में उपलब्ध। 
  • ज्यादा पावर इफिशिएंट। 
  • पावर इफिशिएंट होने की वजह से कम खर्चीला। 
  • गेमिंग, सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट और मिड लेवल प्रफेशनल कामों के लिए यूज किया जा सकता है। 
कोर आई 3 

  • इसे 2010 में लॉन्च किया गया। 
  • बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर मौजूद नहीं है। 
  • टर्बोमोड भी नहीं है। 
  • ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर सभी मॉडल्स में उपलब्ध है। 
  • बहुत ज्यादा पावर इफिशिएंट है। 
  • एंट्री लेवल बेसिक कंप्यूटिंग में यूज किया जा सकता है। 
हाइपर थेडिंग : 

  • यह फीचर थ्री डी सॉफ्टवेयर, एनिमेशन सॉफ्टवेयर और फोटोशॉप आदि को चलाने में मददगार है। आम यूजर्स के लिए इसका कोई खास फायदा नहीं है। 
बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर : 

  • इसका काम यूजर को यह बताने का है कि वह मेमरी का भरपूर इस्तेमाल कैसे करे। वेब सर्फिंग और ऑफिस ऐप्लिकेशंस यूज करने वालों को इसका कोई खास फायदा नहीं होता। सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट करने वालों को इससे फायदा होता है। ट्रिपल चैनल हालांकि मेमरी और प्रॉसेसर के बीच बेहतर स्पीड उपलब्ध कराता है, लेकिन यह थोड़ा महंगा है। 
टर्बो मोड : 

  • गेमिंग यूजर्स के लिए इसके काफी फायदे हैं। इसके अलावा वेब सर्फिंग और ऑफिस ऐप्लिकेशंस जैसे नॉर्मल ऐप्लिकेशंस का यूज करने वालों को भी इसका थोड़ा-बहुत फायदा होता है। 
ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर : 

  • इस फीचर का मकसद कॉस्ट को कम करना होता है। 

इंटेल करेगा स्मार्टफोन पेश

Posted By: Dharmendra Goyal - 10:58 pm
कंप्यूटर चिप बनाने वाली मशहूर कंपनी इंटेल कॉपरेरेशन अगले साल स्मार्टफोन के बाजार में उतरेगी। इसके लिए इंटेल ने मूर्सटाउन नाम की खास चिप बनाई है। फिलहाल दुनियाभर में बिकने वाले ज्यादातर लैपटॉप और डेस्कटॉप पीसी में इंटेल के बनाए चिप का ही इस्तेमाल हो रहा है। 

एक वेबसाइट के अनुसार, इंटेल की मूर्सटाउन चिप मोबाइल में बैटरी की खपत को कम करेगी। मल्टीटास्किंग की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्मार्टफोन की प्रोसेसिंग पावर भी ज्यादा होगी। मोबाइल बाजार में मोटोरोला और एचटीसी जैसी कंपनियां ब्रिटिश कंपनी आर्म की चिप इस्तेमाल कर रही हैं।  इंटेल की नई चिप नोकिया फोन के आने वाले मॉडल्स में इस्तेमाल होगी।

माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक पर फेसबुक

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:58 pm
सोशल नेटवर्किग साईट फेसबुक की बढती लोकप्रियता को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने आउटलुक पर फेसबुक को शामिल कर लिया है। इस लोकप्रिय ईमेल प्रोग्राम पर फेसबुक यूजर्स स्टेटस अपडेट, फोटो और मित्रों द्वारा भेजे गए वॉल पोस्ट को देख सकेंगे। माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक पर 'पीपल पेन' नामक बॉक्स में अब यूजर्स फेसबुक फ्रेंड्स की प्रोफाइल फोटो और गतिविघियों को देख सकेंगे। 

माइक्रोसाफ्ट ऑफिस के प्रोडक्ट मेनेजर पेको कॉन्ट्रेरास ने एक ब्लॉग पोस्ट पर बताया कि आउटलुक पर जिस तरह आप मित्रों या अन्य लोगों के ईमेल पढते समय उनसे जुडे रह सकते हैं उसी तरह आप सोशल नेटवर्क भी देख सकते हैं। 

उन्होंने बताया कि माइक्रोसाफ्ट ने फरवरी में दो अन्य सोशल नेटवक माई स्पेस और लिंक्डइन को आउटलुक के साथ जोडा है जिसे आउटलुक सोशल कनेक्टर के नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि 2003 और 2007 के आउटलुक यूजर्स माइक्रोसॉफ्ट डाउनलोड सेंटर से आउटलुक सोशल क नेक्टर के नए संस्करण को डाउनलोड कर सकते हैं जबकि 2010 के आउटलुक यूजर्स इसे माइक्रोसॉफ्ट अपडेट से प्राप्त कर सकतें है।

दुनिया का पहला डबल टच स्क्रीन लैपटॉप

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:51 pm
जापानी कंपनी तोशिबा ने दुनिया का पहला डबल टच स्क्रीन लैपटॉप पेश किया है। विंडोज 7 प्लेटफार्म पर चलने वाले इस लैपटॉप में कोई की-पैड नहीं है। सब कुछ टचस्क्रीन से ही ऑपरेट करना होगा। वाई-फाई, ब्लू टूथ और 3जी वर्जन के साथ इस लैपटॉप मे वचरुअल की-बोर्ड है। आप अपने मोबाइल फोन नेटवर्क के जरिए भी इस पर इंटरनेट सर्फिग कर सकते हैं।

कीमत है 1400 डॉलर भारतीय मुद्रा में करीब 64,645 रु.।

माउस का काम करेंगी उंगलियां

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:44 pm
कंप्यूटर के कर्सर मूवमेंट के लिए आपको माउस की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए ऐसे माउस का इंतजाम किया है,जो दिखाई नहीं देता। असल में कंप्यूटर मॉनिटर के बगल में इन्फ्रारेड ट्रैकिंग कैमरा लगा रखा है। 

यह लेजर किरणों की मदद से हाथ और उंगलियों की हरकत पर नजर रखता है। कैमरा इसे समझकर कर्जर के रूप में स्क्रीन पर डिस्प्ले करता है। यह कैमरा टेबल की सतह पर नजर रखता है। इस पर घूमती उंगलियों के इशारे को समझकर ही यह कर्सर को स्क्रीन पर घुमाता है। यह कैमरा क्लिक और डबल क्लिक को भी अच्छी तरह से पढ़ सकता है

यूएसबी पोर्ट पर नकली ड्राइव

Posted By: Dharmendra Goyal - 12:51 pm
आपके कंप्यूटर के यूएसबी पोर्ट पर नकली ड्राइव लगाकर कोई डाटा चोरी कर सकता है। यहां तक कि ऐसे ड्राइव की मदद से हार्डवेयर ट्रोजन वायरस भी डाले जा सकते हैं, जो कंप्यूटर को मिनटों में क्रैश कर सकता है।
किंग्सटन स्थित रॉयल मिलिटरी कॉलेज के कंप्यूटर इंजीनियरों ने पहली बार इसका पता लगाया है। उनका कहना है कि ऐसा कोई नकली ड्राइव लगाए जाने पर भी कंप्यूटर उसे पहचान नहीं पाएगा, क्योंकि यूएसबी प्रोटोकॉल में इसके लिए कोई तरीका ही नहीं सुझाया गया है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह से यूएसबी संचालित माउस या की-बोर्ड के मेक और मॉडल का पता लगाकर नकली डिवाइस बनाई जा सकती है।

दृष्टिहीनों के लिए बनी वेबसाइट

Posted By: Dharmendra Goyal - 11:39 pm
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर मस्‍ती करना अब उन लोगों के लिए आसान हो गया है जो अपनी नजरों से दुनिया को नहीं देख सकते। इन्‍क्‍लूसिव प्‍लैनेट नाम से शुरू यह वेबसाइट अन्‍य सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों की तरह है। इसे दृष्टिहीन लोगों को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है।
इस वेबसाइट पर ब्‍लॉग या कंटेंट तैयार किए जा सकेंगे। यूजर अपने फाइल, बुक्‍स, आर्टिकल्‍स या गाने भी शेयर कर सकते हैं। इसके अलावा वे प्रोफाइल तैयार कर सकते हैं, पुराने दोस्‍तों को ढूंढ सकते हैं और कंमेंट्स पोस्‍ट कर सकते हैं। इसमें प्रोफाइल के लिए अलग सेक्‍शन है। वेबसाइट को तैयार करने में जुटे लोग वीडियो अपलोड करने और तस्‍वीरें शेयर करने की सुविधा उपलबध कराने पर भी विचार कर रहे हैं।



दृष्टिहीन लोगों को ‘टेक्‍स्‍ट टू स्‍पीच’ सॉफ्टवेयर इस्‍तेमाल करने की जरूरत होगी। यह सॉफ्टवेयर वेबसाइट पर उपलबध कंटेंट को पढ़ सकेगा। इस वेबसाइट पर ब्राउजिंग की बेहतर सुविधा होगी। भारत में इस तरह की वेबसाइटों पर ऐसी सुविधाएं नहीं हैं।
इन्‍क्‍लूसिव प्‍लैनेट के मार्केटिंग हेड साइमन जैकब कहते हैं, ‘‘सामान्‍य तौर पर वेबसाइटों को दृष्टि वाले लोगों को ध्‍यान में रखकर तैयार किया जाता है। इनमें दृष्टिहीनों के लिए कुछ सुविधाएं जोड़ दी जाती हैं। लेकिन यह वेबसाइट खासतौर पर दृष्टिहीनों के लिए ही तैयार की गई है। इसमें सामान्‍य लोगों के लिए कुछ सुविधाएं हैं।’’
जैकब ने बताया कि नेशनल लॉ स्‍कूल के तीन पूर्व छात्रों ने अक्‍टूबर 2009 में इस वेबसाइट पर काम शुरू किया था। इनमें से एक कॉपीराइट मामलों का वकील है। उसने महसूस किया कि दृष्टि वालों के लिए उपलब्‍ध अधिकतर सामग्रियों तक दृष्टिहीनों की पहुंच नहीं हो पाती। इसके बाद ही इस वेबसाइट को तैयार करने का विचार उसके दिमाग में आया।

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