इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में डिप्रेशन का खतरा दोगुने से भी ज्यादा होता है। एक स्टडी में पहली बार दावा किया गया कि इसकी वजह से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार पहले के अध्ययनों में यह पता नहीं लगाया जा सका था कि इंटरनेट पर कितने घंटे काम करने से डिप्रेशन का खतरा पैदा हो सकता है। चीन में 15 साल की उम्र वाले एक हजार किशोरों पर डिप्रेशन और चिंता का अध्ययन किया गया।
इसके तहत कुछ इस तरह के सवाल पूछे गए- जब आप इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे होते हैं तो कितनी बार अपने आपको डिप्रेशन चिड़चिड़ापन या बेचैनी से घिरा हुआ पाते हैं? करीब 6 फीसदी या 62 किशोरों को ऐसी श्रेणी में रखा गया जो इंटरनेट के उपयोग के चलते मामूली रूप से प्रभावित हैं, जबकि 0.2 फीसदी या दो किशोरों में इससे गंभीर खतरा देखा गया। नौ महीने बाद इनमें डिप्रेशन और चिंता का दोबारा टेस्ट किया गया। 8 फीसदी से ज्यादा या 87 टीनएजर डिप्रेशन की चपेट में आ गए थे।
रिसर्चरों ने कहा कि इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में अवसाद करीब ढाई गुना ज्यादा खतरा रहता है। ऑस्टेलिया में सिडनी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के लॉरेंस लाम और चीन में शिक्षा मंत्रालय के जी-वेन पेंग व गुआंगजोउ यूनिवसिर्टी के सन यात-सेन ने इस स्टडी की अगुआई की। लाम ने कहा कि इसके नतीजे से साफ है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्त किशोर भी यदि इंटरनेट की लत का शिकार हो जाते हैं तो उनमें बाद में ये समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
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