यदि आपने अपना पी सी 2001 से पहले लिया है तो आपका कंप्यूटर 1.1 USB वर्जन है इसके अलावा आप अपने कंप्यूटर का यूएसबी वर्जन पता करने के लिए My Computer पर जाकर राइट क्लिक करें और Properties पर जाएं। इसमें अगर सिस्टम प्रॉपर्टीज वाला आइकन नहीं आ रहा है तो अपने की-बोर्ड में Windows बटन के साथ Pause/Break की-पैड दबाएं । सिस्टम प्रॉपर्टीज के पेज पर जाकर Hardware पर जाएं, फिर Device Manager पर क्लिक करें। इसमें Universal Serial Bus Controllers के नाम से एक आइकन दिखेगा जिस पर क्लिक करने पर यूएसबी की प्रॉपर्टी लिखी हुई आएगी। इसमें अगर Enhanced Host Controllers लिखा है या यूएसबी 2.0 लिखा है तो यह 2.0 होगा वरना 1.1 वर्जन होगा ।
टिप्स फॉर स्पीड अप यौर पीसी
Posted By: Dharmendra Goyal - 10:51 pmजब आप कंप्यूटर को इंटरनेट के लिए यूज करते हैं तो वो काफी स्लो हो जाता है क्योंकि उसमें बहुत सी टेम्परेरी फाइल्स बन जाती है जिसके कारण डिस्क फ्रेगमेंटेशन यानी फाइल्स के छोटे-छोटे टुकड़े हार्ड डिस्क पर फैल जाते हैं। इसके अलावा जब आप बहुत से बीटा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करते हैं तो ये रजिस्ट्री जो विंडोज का अपना डाटाबेस होते हैं उसमें कई एंट्रीज बना देता है। अनइंस्टॉल करने पर ये रजिस्ट्री से एंट्रीज डिलीट नहीं होती हैं जिससे रजिस्ट्री का साइज बढ़ जाता है उसके कारण जब भी सेंटिग आदि के लिए विंडोज डाटाबेस को पढ़ती है तो टाइम ज्यादा लगता है जिस कारण सॉफ्टवेयर और विंडोज लोड होने में भी ज्यादा टाइम लगता है।
अपने कंप्यूटर को सही रखने के लिए अपने एंटी वायरस, एंटीस्पाईवेयर आदि को रेग्युलर अपडेट करते रहें। इसके अलावा अपने विंडोज को 'विंडोज अपडेट प्रोगाम' से रेग्युलर सेक्योरिटी अपडेट्स करते रहें। इसके लिए अपने कंप्यूटर में ' Start ' ' Settings ' ' Control Panel ' में जाकर 'Automatic Updates ' पर डबल क्लिक करके ' Automatic ' या फिर ' Download Updates For Me ' ऑप्शन को सिलेक्ट करें। ये अपडेट्स जेनुअन विंडोज में ही चल पाएंगे। इसके अलावा अपने ब्राउजर में टेम्परेरी इंटरनेट फाइल्स, कुकीज आदि को क्लीन करते रहें।
इसके लिए 'Browser ' में जाएं फिर ' Menu Bar ' में ' Tools Option ' में जाकर ' Internet Options ' को सिलेक्ट करके Delete Temporary Files, History और Cookies को डिलीट कर दें।
अगर आपके कंप्यूटर में वायरस है तो Avast, Avira, Quick Virus Remover को यूज कर सकते हैं। इसके अलावा आप इन स्टेप्स को रूटीन में फॉलो करें।
1. Start-Run-Cleanmgr को चलाकर डिस्क क्लीन-अप कर लें।
2. Cleanmgr चलाने के बाद Start-Run में dfrg.msc को चला लें और सी ड्राइव को सिलेक्ट करके डीफ्रेग्मेंट चला लें।
पहले स्टेप से गैर टेम्परेरी और दूसरी गैर-जरूरी फाइल्स क्लीन हो जाएंगी और दूसरे स्टेप से डी-फ्रेग्मेंट करने से पूरी डिस्क पर फैले फाइल्स के छोटे-छोटे पार्ट्स एक जगह जमा हो जाएंगे जिससे डिस्क पर फाइल लिखने और पढ़ने की स्पीड बढ़ जाएगी।
बेसिक्स ऑफ ई मेल पासवर्ड
Posted By: Dharmendra Goyal - 10:30 pmपासवर्ड बनाने का मौका आया तो आपने झट से डाल दिया 'ललित' जो आपके बेटे का नाम है, क्योंकि उसमें अंक भी होने चाहिए तो आपने लिख दिया 'ललित 2003' जो ललित के जन्म का साल है। लेकिन क्या यह ऐसा पासवर्ड है जिसके भरोसे पर आप अपने पर्सनल डाक्यूमेंट और मैसेज की सेफ्टी को लेकर बेफ्रिक हो सकें? कोई दोस्त अनुमान लगाने बैठेगा तो आठ-दस प्रयास के बाद इसका पता लगा ही लेगा! खुद अपना, अपने पार्टनर, बच्चों आदि के नाम या गाड़ी, टेलीफोन के नंबर, जन्म के साल आदि को पासवर्ड बनाना बिना पासवर्ड के काम चलाने जैसा ही है। यही बात '12345' 'ABCDE' 'XYD' जैसे पासवर्ड पर भी लागू होती है। अपने कंप्यूटर, ई-मेल, बैंक खाते आदि को सेफ रखना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें :
पासवर्ड ऐसा होना चाहिए जो किसी भी डिक्शनरी में न मिले। धोखेबाज उन्हें ढूंढने के लिए कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर को यूज करते हैं जो बहुत तेजी से हजारों किस्म के कॉम्बीनेशंस को आजमाकर देख लेते हैं। वे वर्णमाला के अक्षरों, अंकों आदि से शुरू करके पूरी-की-पूरी डिक्शनरी को आजमा लेते हैं।
अगर आपका पासवर्ड 'ABC' है तो उसे ढूंढने में सॉफ्टवेयर को सिर्फ छह कॉम्बीनेशंस आजमाने पड़ेंगे। अगर वह 'ABC123' है तो उसे 720 बार प्रयास करना पड़ेगा और 'ABC1234' के लिए यह संख्या छह हजार से ज्यादा होगी। आप के लिए छह हजार बार प्रयास करना भले ही मुश्किल हो लेकिन कंप्यूटर के लिए यह सैकंडों का खेल है।
पासवर्ड जितना बड़ा और मुश्किल होगा, उतना ही अच्छा रहेगा। 14 अक्षरों का पासवर्ड बहुत सेफ माना जाता है। कोशिश करें कि इसमें कैपिटल और स्मॉल लैटर, अंक, स्पेशल कैरेक्टर्स (@!&%{-$ आदि) भी हों। आप चाहें तो इसके लिए maord.com और strongpasswordgenerator.com जैसे ऑनलाइन पासवर्ड जेनरेटर्स की मदद भी ले सकते हैं।
पासवर्ड को कहीं भी लिखकर न रखें। अगर आप कई पासवर्ड यूज करते हैं और आपके लिए उन्हें याद रखना मुश्किल है तो कीपास (keepass.info) जैसे फ्री सॉफ्टवेयर को यूज करें जो उन्हें एनक्रिप्ट करके सेफ रखता है।
अपने पासवर्ड को महीने में एक बार जरूर बदल लें। अगर पूरी तरह बदलना आसान न लगे तो कम-से-कम उनमें हर बार एक-दो अक्षर या अंक जरूर जोड़ लें या बदल दें।
अपने सभी अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड यूज न करें। अगर वह लीक हुआ तो कहीं भी, कुछ भी सीक्रेट नहीं बचेगा। सब अकाउंट्स में अलग पासवर्ड का मतलब है, सबकी अलग-अलग सेफ्टी।
दूसरों के कंप्यूटरों पर (साइबर कैफे आदि में) बैठें तो ध्यान रखें कि ई-मेल अकाउंट या ब्राउजर में 'stay signed in' जैसी कोई सैटिंग तो नहीं है। वरना आपके हटते ही कोई आपकी मेल पढ़ रहा होगा। काम पूरा होने पर वेब पेज को 'sign out' करना न भूलें। संभव हो तो tools मेन्यू में 'internet options' पर जाकर 'browsing history' में जाकर 'delete' कर दें।
अपना पासवर्ड किसी को न बताएं। अगर ऐसा करना बहुत जरूरी हो तो काम पूरा होते ही उसे बदल दें। भूले हुए पासवर्ड को ई-मेल से मंगवाया है तो नया पासवर्ड आते ही उसे बदल दें।
ऐसा पीसी -जो न तो एक कंपलीट कंप्यूटर है, न फोन है और न ही नेटबुक
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:23 pmगैजट की दुनिया में सबसे बड़ा इंतजार खत्म हो गया है। आई पॉड और आई फोन बनाने वाली कंपनी ऐपल ने अपना नया चमत्कार दुनिया के सामने पेश कर दिया है, जिसका नाम है आई पैड... 10 इंच की टचस्क्रीन वाला टैबलेट पीसी -जो न तो एक कंपलीट कंप्यूटर है, न फोन है और न ही नेटबुक है। लेकिन इसमें इतना दम है कि कई गैजट्स को यह खत्म कर सकता है। जलवा ऐसा कि यह लोगों में किताबें और अखबार पढ़ने की आदत डाल दे, टीवी देखने और गेमिंग का अंदाज बदल दे और सबसे बड़ी बात कि गैजट्स की एक नई कैटिगरी बना सकता है। ऐपल ने इसकी प्राइस रेंज महज 500 डॉलर (करीब 25,000 रुपये) से शुरू की है।
आई पैड के फीचर
आई पैड आखिर है क्या:
- यह एक ऐसा कंप्यूटर है जिसे आप इंटरनेट सर्फिंग, ई-मेल चेक करने के लिए इस्तेमाल करेंगे। इस पर आप अखबारों और किताबों के ई-पेपर वर्जन पढ़ सकेंगे, म्यूजिक सुनने और गेम खेलने के लिए आई पैड इस्तेमाल होगा और विडियो देखने का फीचर भी इसमें है। इसमें फोन नहीं है। यह आपका अकले कंप्यूटर नहीं बल्कि सेकंडरी कंप्यूटर हो सकता है।
सबसे बड़ी बात:
- आई पैड कॉटेंट जनरेट करने वाला कंप्यूटर नहीं बल्कि कॉटेंट को इस्तेमाल करने वाला टैबलेट टचस्क्रीन कंप्यूटर है। टाइप करने के लिए इसकी स्क्रीन पर वर्चुअल की बोड आ जाएगा। आई पैड 9.7 इंच की एलईडी स्क्रीन वाली डिवाइस है, जिसे टैबलेट पीसी कहते हैं।
आई पैड के दो वर्जन है :
- वाई-फाई वाला और वाई फाई के साथ 3जी वाला। ऐपल के सीईओ स्टीव जॉब्स ने इसे सैन फ्रैंसिस्को में दुनिया के सामने पेश किया। इसका इंतजार इतना ज्यादा था कि लॉन्च के वक्त दुनियाभर में इंटरनेट की स्पीड स्लो हो गई, ट्विटर पर लॉन्च के एक घंटे में 1.77 लाख पोस्ट दर्ज की गईं, यानी हर मिनट में करीब 300 पोस्ट। यह एक रेकॉर्ड है और साबित करता है कि टॉप सीक्रेट रखे गए आई पैड के बारे में जानने की कितनी ज्यादा बेचैनी दुनियाभर में थी।
इंतजार का फल कैसा रहा?
- टेक्नॉलजी एक्सपर्ट निमिष दुबे कहते हैं कि महज 500 डॉलर प्राइस बहुत बड़ा फैक्टर है। ऐपल ने अब तक सिर्फ आई पॉड को आम लोगों के बजट में रखा था, आई फोन हो या मैक कंप्यूटर रेंज - वे बेहद महंगे थे। आई पैड पब्लिक का गैजट बनेगा। निमिष मानते हैं कि आई पैड में इतना दम है कि वह नेटबुक को खत्म कर सकता है, किंडल जैसे ई-बुक रीडर का बचना भी मुश्किल होगा। अब तक गिने चुने टैबलेट पीसी थे, वे भी 30-40 हजार की रेंज में। हालांकि साउंड के लिए मोनो आउटपुट निराश करता है और कंप्यूटिंग के दौरान मल्टी टास्किंग का फीचर तो ऐपल को कम से कम देना चाहिए था।
गैजट एक्सपर्ट का मानना है कि
- प्राइस तो कम है लेकिन देखना होगा कि यह किस काम आएगा। उनके मुताबिक अब तक हम जो कंप्यूटिंग करते रहे हैं वह क्रिएशन के लिए थी, जिसमें हम कुछ कंटेंट जेनरेट करते हैं, लेकिन आई पैड का फंडा कंटेंट को कन्जयूम करने का है। वह कहते हैं कि जब इसमें सभी न्यूज पेपर के सब्सिक्रिप्शन आ जाएगा, मैगजीन आ जाएंगी, गेमिंग होगी तो यह एक नई प्रॉडक्ट कैटिगरी को जन्म देगा। वह कहते हैं कि आई पैड नया कॉन्सेप्ट है जो हमारी आदतों को बदल भी सकता है और नहीं भी। यह कामयाब रहा तो नेटबुक, ई-बुक म्यूजिक पोर्टेबल डिवाइस जैसे तमाम गैजट खत्म हो जाएंगे, लेकिन... और यह लेकिन बहुत बड़ा सवाल है।
हिंदी में उपयोगी शब्दावली
Posted By: Dharmendra Goyal - 10:48 pm
हिंदी Computer Survival Guide
Home : मुखप्रष्ठ
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Italic : इटालिक
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इंटरनेट से मिल सकती है डिप्रेशन से लड़ने में मदद
Posted By: Dharmendra Goyal - 12:33 amएक स्टडी में कहा गया है कि टीनएजर्स को डिप्रेशन से लड़ने में इंटरनेट से काफी मदद मिल सकती है। यह स्टडी सिडनी यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के रिसर्चर डॉक्टर सुवेना सेठी और उनके सहयोगियों ने की।
स्टडी में उन्होंने पाया कि टीएनएजर्स की मेंटल हेल्थ को सुधारने में इंटरेक्टिव ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्सेज और टे्रडिशनल काउंसलिंग मददगार साबित हो सकती है। स्टडी रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में रह रहे कम उम्र के लोगों को हल्के और मध्यम स्तर के डिप्रेशन से निपटने में इंटरनेट से मदद मिल सकती है। इस काम में ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्स (स्टैटिक और इंटरेक्टिव) असरदार साबित हो सकते हैं।
'सेल्फ-हेल्प फॉर डिप्रेशन' नाम की इस स्टडी में मौजूदा ऑनलाइन मेंटल हेल्थ रिसोर्स का मूल्यांकन किया गया है, ताकि इसका इलाज के विभिन्न तरीकों में इस्तेमाल किया जा सके। स्टडी टीम मेंबर डॉक्टर एंड्र्यू कैंपबेल ने कहा- हल्के और मध्यम स्तर के डिप्रेशन से बचाव और इसके मैनेजमेंट के लिए हर इनोवेटिव ऑनलाइन अप्रोच को दुनिया भर में आजमाया जा रहा है। इस स्टडी की रिपोर्ट 'जर्नल ऑफ टेक्नॉलजी इन ह्यूमन सर्विसेज' में प्रकाशित हुई है। एंड्रू कैंपबेल ने कहा कि हमारे रिसर्च के मुताबिक टीनएजर्स के लिए डिप्रेशन ट्रीटमेंट का बेस्ट तरीका ऑफलाइन काउंसलिंग के साथ-साथ ऑनलाइन सेल्फ हेल्प टूल्स का इस्तेमाल है।
इंटरनेट की बेहतर स्पीड ?
Posted By: Dharmendra Goyal - 12:02 amइंटरनेट की स्पीड कई चीजों पर निर्भर करती है। मसलन आपके कंप्यूटर की स्पीड, मॉडम/राउटर और कंप्यूटर के बीच कनेक्शन की स्पीड और मॉडम/राउटर से आईएसपी तक की स्पीड। आपको यह बात समझ लेनी चाहिए कि इन तीनों में से जो स्पीड सबसे कम होगी, आपको अपने इंटरनेट पर वही स्पीड मिलेगी। चूंकि आप मॉडम के तौर पर मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए ऐसा मान सकते हैं कि आप जीपीआरएस का यूज कर रहे होंगे। हम यह भी मानकर चल रहे हैं कि आपके पास एक अच्छा कंप्यूटर है, जिसमें भरपूर रैम है। इसके अलावा आपके पास एक अच्छा प्रॉसेसर है, जिसकी हार्ड डिस्क में 5 से 7 जीबी का फ्री स्पेस है।
अगर आप यूएसबी केबल के जरिए कंप्यूटर को मोबाइल से कनेक्ट करते हैं, तो कंप्यूटर और मोबाइल के बीच डेटा 300 से 400 मेगा बिट्स प्रति सेकंड की दर से ट्रांसफर होगा। ब्लूटुथ कनेक्शन की स्पीड करीब 3 मेगाबिट्स प्रति सेकंड है, जबकि जीपीआरएस कनेक्शन 50 किलोबाइट की दर से डेटा ट्रांसफर कर सकता है, जो ब्लूटुथ कनेक्शन के मुकाबले काफी कम है। यहां यह भी साफ है कि यूएसबी केबल ब्लूटुथ के मुकाबले 100 गुना तेज स्पीड दे सकता है। चूंकि कम स्पीड जीपीआरएस की वजह से है इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप केबल कनेक्शन का यूज कर रहे हैं या ब्लूटुथ कनेक्शन का, इंटरनेट आपको तब तक वही स्पीड देता रहेगा, जब तक आप 3जी कनेक्शन या किसी ऐसे मोबाइल कनेक्शन का यूज नहीं करते, जो अच्छी स्पीड देता हो।
How to Assemble एंट्री लेवल गेमिंग पीसी
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:34 pmआपके सभी मल्टिमीडिया ऐप्लिकेशन और गेमिग के लिए यह जरूरी है कि आपको आपके पैसे की सही कीमत मिले। आप अपने बजट में एंट्री लेवल गेमिंग पीसी असेम्बल करा सकते हैं।
सीपीयू
सीपीयू
सभी एंट्री लेवल गेमिंग पीसी के लिए एएमडी एथलॉन सीपीयू काफी अच्छा है क्योंकि इतने प्राइज में इनटेल में कोई सीपीयू उपलब्ध नहीं है।
- एएमडी एथलॉन II X3 435 (2.9 GHz) - 3700 रुपये
मदरबोर्ड
7.1 ऑडियो के साथ यह बोर्ड DDR3 RAM को स्पोर्ट करता है। इन सब खूबियों के कारण ही इसको सलेक्ट किया गया है।
- MSI 785G-E51 या इसके बराबर - 4,200 रुपये
रैम
यह गेमिंग के लिए उपलब्ध सबसे बेहतर पार्ट्स है, साथ ही यह पीसी में गेमिंग के लिए जरूरी है।
- 1333 Mhz DDR3 2GB (दो पीस) - 5400 रुपये
हार्ड डिस्क
- सीगेट बाराकुडा हार्डडिस्क 1 TB 7200.12- 3,300 रुपये
- आप इसमें वेस्टर्न डिजिटल हार्ड डिस्क भी ले सकते हैं।
गेमिंग कार्ड
- जीफोर्स nvidia GTS 250, 512MB DDR3 के साथ - 5900 रुपये
- MSI कार्ड या इसी के जैसा कोई कार्ड लें। यह किसी भी गेमिंग पीसी के लिए जरूरी है।
मॉनिटर
- एलजी या डेल - 6,500-10,000 रुपये (depends on Size)
डीवीडी राइटर
- एलजी या सैमसंग का साटा डीवीडी राइटर - 1,000-1500 रुपये
कैबिनेट
- कूलमास्टर एलीट ब्रैंडेड एसएमपीएस के साथ - 3700 रुपये
की-बोर्ड और माउस
- माइक्रोसॉफ्ट या लॉगीटेक के यूएसबी की-बोर्ड और माउस - 750 रुपये
स्पीकर्स
- लॉजिटेक या क्रिएटिव 2.1 स्पीकर्स 35650 - 1,500 रुपये
मॉनिटर से आजाद हुआ कंप्यूटर : Microsoft & Others
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:09 pmअगर आप किसी होटल या दफ्तर में लोगों को टेबल की चमचमाती सतह पर इधर-उधर उंगलियां चलाते देखें तो चौंकें नहीं। दरअसल यह टेबल एक खास तरह का कंप्यूटर है, जिसे 'माइक्रोसॉफ्ट सरफेस' कहा जाता है। इसके अंदर पूरा-का-पूरा ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद है और उसकी ऊपरी सतह पर ठीक वैसी ही स्क्रीन है, जैसी आपके मॉनिटर में होती है।
'सरफेस' घिसे-पिटे और पुराने डिजाइनों की गुलामी से आजाद होने की कंप्यूटर की छटपटाहट का नतीजा है। आखिर क्यों कंप्यूटर सिर्फ चार चौकोर दीवारों के भीतर सिमटा रहे? ऐसे और भी कई प्रयोग हुए हैं जिनमें कंप्यूटर को ज्यादा दिलचस्प, ज्यादा आकर्षक और यूजर की जरूरतों के अधिक अनुकूल बनाने की कोशिश की गई है।
माइक्रोसॉफ्ट सरफेस :
टेबल जैसे इस कंप्यूटर में आई-फोन में इस्तेमाल होने वाली मल्टी-टच तकनीक है। उसकी स्क्रीन पर मौजूद आइकंस को उंगलियों से दबाने पर एप्लिकेशन खुल जाते है। इसके अलावा, आप किसी भी फाइल के आइकन को ड्रैग करके दूसरी जगह पर ले जा सकते हैं। आम कंप्यूटर में माउस को सिर्फ एक ही जगह पर क्लिक किया जा सकता है, जबकि इसमें 30 इंच लंबे 'सरफेस' की स्क्रीन को अनेक जगहों पर एक साथ छूकर कमांड्स दी जा सकती हैं। यह मल्टी-टच है और इसे एक साथ बहुत से लोग यूज कर सकते हैं। स्क्रीन पर कैमरा रखकर उसके फोटोग्राफ कंप्यूटर में ट्रांसफर किए जा सकते हैं। यह म्यूजिक प्लेयर और मोबाइल फोन जैसी बाकी डिजिटल तकनीकों को भी पहचानता है, जिन्हें सरफेस पर रखकर कंप्यूटर से कनेक्ट किया जा सकता है। सरफेस की कीमत करीब 12 हजार डॉलर (6 लाख रुपये) है।
कॉफी मग के आकार वाले इस कंप्यूटर में सचमुच कॉफी भी पी जा सकती है। मग की बाहरी दीवारों पर वह सब मौजूद है, जो आम कंप्यूटरों में होता है। खूबसूरत-सी दिखने वाली स्क्रीन पर फैले ईमेल, स्टॉक मार्केट अपडेट्स, खबरें, टाइम, ट्रैफिक आदि के आइकंस सिर्फ दिखावटी नहीं हैं। टच स्क्रीन वाले इस अनोखे कंप्यूटर पर आप न केवल खबरें और ब्लॉग पढ़ सकते हैं बल्कि स्क्रीनसेवर और वीडियो का मजा भी ले सकते हैं।
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ब्लूम पीसी :
अब लीजिए एक ऐसा कंप्यूटर, जिसमें कोई स्क्रीन ही नहीं है। ब्लूम पीसी में की-बोर्ड के अलावा अगर कुछ दिखता है तो सिर्फ तीन स्तंभ या शाखाएं, जिनके बीच खाली स्पेस में लेजर बीम्स के जरिए 2-डी और 3-डी पिक्चर बनाई जाती हैं और यही इसकी स्क्रीन होती है। इतने क्लीयर पिक्चर आपको किसी भी कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई नहीं देंगे। खासकर ग्राफिक आर्टिस्ट्स और फोटोग्राफरों के लिए तो यह बहुत काम का है। तीनों स्तंभों को आगे पीछे करके आप स्क्रीन साइज भी बदल सकते हैं। दोनों स्तंभों के अदंर साउंड सिस्टम मौजूद है। इसमें की-बोर्ड और स्टाइलस के जरिए काम होता है। इस 'कंप्यूटर' में बायोमीट्रिक सिस्टम लगा है, यानी यह आपको पहचान भी सकता है।
यह कंप्यूटर की-बोर्ड के ही अदंर है जिसका नाम 'ईईई की-बोर्ड पीसी' है। इसमें वायरसलैस कनेक्टिविटी और होम थिएटर भी है। इसके की-बोर्ड के अदंर मौजूद पांच इंच की स्क्रीन वाले इस कंप्यूटर में 1.6 गीगाहर्ट्स का एटम माइक्रोप्रोसेसर, एक जीबी रैम, 32 जीबी का हार्ड डिस्क के अलावा वाई-फाई, ब्लूटूथ, यूएसबी पोर्ट और ऑडियो इनपुट-आउटपुट भी है।
अमेरिका की 'लीप-फ्रॉग' कंपनी के फ्लाई वर्ल्ड 'पेनटॉप' कंप्यूटर में पेन जैसा दिखने वाला कंप्यूटर और डिजिटल पेपर होता है। पेन से लिखी गई चीजों को यह इनपुट के रूप में लेता है और साउंड के रूप में आउटपुट देता है। जैसे पांच गुणा सात लिखने पर पेनटॉप बोल उठता है : थर्टी फाइव। पेनटॉप इंग्लिश के शब्दों को फ्रेंच, स्पेनिश आदि भाषाओं में बदलकर उनका एकदम सही उच्चारण भी सुनाता है। जो लोग टाइप किए बिना कंप्यूटर पर काम करना चाहते हैं वह इससे लिखे गए वाक्यों को सीधे माइक्रोसॉफ्ट वर्ल्ड में ट्रांसफर कर सकते हैं। खाली समय में आप इसमें दिए मजेदार गेम्स भी खेल सकते हैं। यह इंटरनेट से भी कनेक्ट हो जाता है। आप इसका यूज गाने डाउनलोड कर एमपी-3 प्लेयर की तरह भी कर सकते हैं।
resting your hand on the new mouse?
Posted By: Dharmendra Goyal - 10:55 pm
लंदन. कैनन कंपनी ने लेजर तकनीक से चलने वाला एक ऐसा माउस बनाया है, जिसमें कैल्कुलेटर की तरह नंबर पैड बना है। अकाउंट्स का काम करने वालों को इससे हिसाब करने में आसानी होगी। हिसाब ब्लूटूथ के जरिए कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सकेगा। यह बाजार में 40 पाउंड (2930 रु.) में उपलब्ध है।
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The new Canon mouse features laser tracking, Bluetooth 2.0 connectivity, three separate buttons, and a scroll-wheel. Worried about accidentally pressing numbers while resting your hand on the new mouse? Canon thought of that too, implementing a user-locking system to avoid such complications. It also features a built-in high-resolution, ten-digit display.
Users can use the mouse as a standalone calculator or paired with their computer as a number pad for entering numbers into spreadsheets and other documents.
The Canon X MARK I MOUSE is compatible with both PC and Mac. It will be released sometime in November of this year in the United Kingdom. Currently, there is no available information on US pricing and release date.
नेट के दीवाने टीनएजर
Posted By: Dharmendra Goyal - 12:34 pmइंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में डिप्रेशन का खतरा दोगुने से भी ज्यादा होता है। एक स्टडी में पहली बार दावा किया गया कि इसकी वजह से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार पहले के अध्ययनों में यह पता नहीं लगाया जा सका था कि इंटरनेट पर कितने घंटे काम करने से डिप्रेशन का खतरा पैदा हो सकता है। चीन में 15 साल की उम्र वाले एक हजार किशोरों पर डिप्रेशन और चिंता का अध्ययन किया गया।
इसके तहत कुछ इस तरह के सवाल पूछे गए- जब आप इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे होते हैं तो कितनी बार अपने आपको डिप्रेशन चिड़चिड़ापन या बेचैनी से घिरा हुआ पाते हैं? करीब 6 फीसदी या 62 किशोरों को ऐसी श्रेणी में रखा गया जो इंटरनेट के उपयोग के चलते मामूली रूप से प्रभावित हैं, जबकि 0.2 फीसदी या दो किशोरों में इससे गंभीर खतरा देखा गया। नौ महीने बाद इनमें डिप्रेशन और चिंता का दोबारा टेस्ट किया गया। 8 फीसदी से ज्यादा या 87 टीनएजर डिप्रेशन की चपेट में आ गए थे।
रिसर्चरों ने कहा कि इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में अवसाद करीब ढाई गुना ज्यादा खतरा रहता है। ऑस्टेलिया में सिडनी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के लॉरेंस लाम और चीन में शिक्षा मंत्रालय के जी-वेन पेंग व गुआंगजोउ यूनिवसिर्टी के सन यात-सेन ने इस स्टडी की अगुआई की। लाम ने कहा कि इसके नतीजे से साफ है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से मुक्त किशोर भी यदि इंटरनेट की लत का शिकार हो जाते हैं तो उनमें बाद में ये समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
रुपये का सिम्बल डाऊनलोड कीजिये
Posted By: Dharmendra Goyal - 6:14 pmSteps
Whats new ?
- Glyph of the rupee symbol simplified
- Overlapping problem of horizontal lines while font size 10 fixed
- Auto installer for windows integrated
रूपये का Version 2.0 सिम्बल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करे !
स्पैम और जंक मेल्स
Posted By: Dharmendra Goyal - 7:34 pmस्पैम और जंक मेल्स फैलाने वाले देशों की लिस्ट में भारत का स्थान दूसरा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो भारत में बढ़ते इंटरनेट यूजर्स देश को स्पैम फैलाने वाले देशों की लिस्ट में नंबर वन पर पहुंचा देंगे।
पिछले दिनों एक कंपनी के सर्वे में पाया गया कि सबसे ज्यादा जंक और स्पैम मेल्स जनरेट करने वाले देशों में हमारा नंबर दूसरा है। यानी हम, आप सब जमकर स्पैम मेल भेजते रहते हैं। दुनिया भर के बिजनेस कम्यूनिकेशन में से 97 पर्सेंट स्पैम होता है और भारत इसमें से 7.3 फीसदी स्पैम के लिए जिम्मेदार है।
साइबर कम्यूनिकेशन कंसलटेंट इस परेशानी को कुछ अलग नजरिए से देखते हैं। वह कहते हैं, 'स्पैम मेल के मामले में हमारे देश के दूसरे स्थान पर पहुंचने से परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, यह इस बात का संकेत है कि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने लगे हैं।'
इस प्रॉब्लम से निजात पाने का तरीका पूछने पर वह बताते हैं, 'अगर आपने अपने सिस्टम में एंटी वायरस लगा रखा है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। आप सिर्फ माउस से क्लिक करके सभी गैर जरूरतमंद मेल्स को डिलीट कर सकते हैं।'
टचस्क्रीन कियॉस्क : Intel
Posted By: Dharmendra Goyal - 4:52 pmऑनलाइन शॉपिंग को आसान बनाने के लिए इंटेल कॉपरेरेशन ने एक टचस्क्रीन कियॉस्क बनाया है। यह मशीन आपको प्रोडक्ट की सूची, खासियतें और रिटेल स्टोर की जानकारी देगी। इसके बाद आप अपनी पसंद के प्रोडक्ट का चुनाव कर कार्ड या सेलफोन के जरिए भुगतान कर सकेंगे।
कियॉस्क पर आपको कई ऐसे प्रोडक्ट के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो हाल में पेश किए गए हैं। यह कियॉस्क यूजर को प्रोडक्ट के गुण-दोषों का आकलन कर अपना सुझाव भी देता है। इंटेल ने अपने मशहूर कोर-टू-ड्यो प्रोसेसर की मदद से इस कियोस्क को बनाया है। शॉपिंग मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर में यह कैश रजिस्टर का भी काम कर सकता है।
आईपीवी 6 वर्जन लाना होगा
Posted By: Dharmendra Goyal - 4:48 pmवेबसाइटों के लिए सुरक्षित आईपी एड्रेस बुक 94 फीसदी भर चुका है। इसके चलते जल्द ही एक नए इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन (आईपीवी) 4 में नए आईपी एड्रेस के लिए 32 बिट के नंबर सिस्टम का प्रयोग होता है। इससे चार अरब कॉम्बिनेशंस तैयार किए जा सकते हैं।
इसके भर जाने पर तकनीशियनों को आईपीवी 6 वर्जन लाना होगा। यह 126 बिट का होगा, जिससे कॉम्बिनेशंस की संख्या भी बढ़ जाएगी। अमेरिकन रजिस्ट्री फॉर इंटरनेट नंबर्स के मुख्य कार्यकारी जॉन करेन के अनुसार, नए आईपीवी 6 को अपनाने के लिए दुनियाभर के देशों को राजी करना एक बड़ी चुनौती है।
ओलिव पैड : India's First 3G tablet
Posted By: Dharmendra Goyal - 3:20 pmनेटबुक और मोबाइल बाजार में मौजूद कंपनी ओलिव ने आई-पैड जैसा अपना प्रॉडक्ट ओलिव पैड लॉन्च किया है। यह भारत की पहली 3जी टैब्लेट डिवाइस है। खास बात यह है कि इस डिवाइस से आप विडियो और वॉइस कॉल भी कर सकते हैं, जोकि आई-पैड से मुमकिन नहीं है। हालांकि पूरी तरह से इसकी तुलना आई-पैड से करना ठीक नहीं होगा, क्योंकि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के मामले में एपल के आगे बड़ी नामी कंपनियां भी टिक नहीं पातीं लेकिन ओलिव पैड की हमने जो शुरुआती झलक देखी, उसमें टचस्क्रीन समेत बाकी फीचर बुरे नहीं थे। कंपनी का कहना है कि इसके दाम 25 हजार से कम रेंज में रखे जाएंगे।
7 इंच स्क्रीन साइज वाली इस डिवाइस के लुक आई-पैड (स्क्रीन साइज 9.7 इंच) जैसे तो नहीं है लेकिन इसे कूल कहा जा सकता है। इसे आप टच नोटबुक के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। ओलिव पैड में एंड्रॉयड 2.1 वर्जन को ऑपरेटिंग सिस्टम के तौर पर रखा गया है।
अक्टूबर के दौरान यह एंड्रॉयड 2.2 में अपग्रेडेबल होगा। इसके अलावा इसमें दो कैमरे हैं, बैक कैमरा 3 मेगापिक्सल का और विडियो कॉल के लिए फ्रंट कैमरा वीजीए। आप इसे वाई-फाई से कनेक्ट करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें इंटरनेट सर्फिंग, ई-बुक्स, विडियो गेम्स और म्यूजिक के लिए अच्छे फीचर हैं। जब तक 3जी नहीं आती, तब तक आप EDGE (2.5जी) और वाई-फाई से इसे कनेक्ट कर सकते हैं।
जीपीएस से लैस इस डिवाइस को नेविगेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें आपको फ्लैश सपोर्ट मिलेगा और यूएसबी पोर्ट भी दिए गए हैं। इसकी इनबिल्ट मेमरी 512 एमबी है और एक्सटेंडबल कार्ड से मेमरी 32 जीबी तक बढ़ाई जा सकती है। ओलिव पैड अगस्त से बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। किसी नेटवर्क की बंदिश नहीं है।
इंटेल के कोर आई 7, कोर आई 5 और कोर आई 3 प्रॉसेसर में क्या अंतर है?
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:48 pmकोर आई 7
कोर आई 5
- इसे 2009 में लॉन्च किया गया।
- हाइपर थ्रेडिंग को सपोर्ट नहीं करता।
- बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर, ड्यूअल चैनल
- बड़ा टर्बोमोड मौजूद है।
- ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर कुछ मॉडल्स में उपलब्ध।
- ज्यादा पावर इफिशिएंट।
- पावर इफिशिएंट होने की वजह से कम खर्चीला।
- गेमिंग, सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट और मिड लेवल प्रफेशनल कामों के लिए यूज किया जा सकता है।
- इसे 2010 में लॉन्च किया गया।
- बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर मौजूद नहीं है।
- टर्बोमोड भी नहीं है।
- ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर सभी मॉडल्स में उपलब्ध है।
- बहुत ज्यादा पावर इफिशिएंट है।
- एंट्री लेवल बेसिक कंप्यूटिंग में यूज किया जा सकता है।
हाइपर थेडिंग :
- यह फीचर थ्री डी सॉफ्टवेयर, एनिमेशन सॉफ्टवेयर और फोटोशॉप आदि को चलाने में मददगार है। आम यूजर्स के लिए इसका कोई खास फायदा नहीं है।
बिल्ट इन मेमरी कंट्रोलर :
- इसका काम यूजर को यह बताने का है कि वह मेमरी का भरपूर इस्तेमाल कैसे करे। वेब सर्फिंग और ऑफिस ऐप्लिकेशंस यूज करने वालों को इसका कोई खास फायदा नहीं होता। सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट करने वालों को इससे फायदा होता है। ट्रिपल चैनल हालांकि मेमरी और प्रॉसेसर के बीच बेहतर स्पीड उपलब्ध कराता है, लेकिन यह थोड़ा महंगा है।
टर्बो मोड :
- गेमिंग यूजर्स के लिए इसके काफी फायदे हैं। इसके अलावा वेब सर्फिंग और ऑफिस ऐप्लिकेशंस जैसे नॉर्मल ऐप्लिकेशंस का यूज करने वालों को भी इसका थोड़ा-बहुत फायदा होता है।
ऑन चिप विडियो प्रॉसेसर :
- इस फीचर का मकसद कॉस्ट को कम करना होता है।
फेसबुक को बनाएं सेफबुक
Posted By: Dharmendra Goyal - 2:46 pmसावधानी हटी, दुर्घटना घटी। यह बात तब और सही साबित हो जाती है जब आप इंफर्मेशन के सबसे बड़े हाइवे यानी इंटरनेट पर हों। फिर चाहे बात फेसबुक
पर सोशल नेटवर्किंग की हो या फिर फुटबॉल वर्ल्ड कप की दीवानगी की। आज आपको बताएंगे कि फेसबुक पर सेफ और सिक्योर्ड कैसे रहें? हम आपको यह भी बताएंगे कि फुटबॉल के नाम पर ठगने की कोशिश में जुटे साइबर गुंडों को आप कैसे दिखा सकते हैं रेड कार्ड? पूरी जानकारी दे रहे हैं आशीष पांडे :
फेसबुक पर ढक लो फेस
आपके ऐसे कितने दोस्त हैं, जिनसे मिलते ही आप उन्हें अपना फैमिली अलबम दिखाने लगते हैं? या कितने पहचान वाले ऐसे हैं जिनके साथ आप पर्सनल या प्रफेशनल लाइफ के सीक्रेट शेयर करने लगते हैं? रीयल लाइफ में गिनेंगे तो इनकी तादाद काफी कम होगी, लेकिन वर्चुअल लाइफ में इसका एकदम उलटा हो रहा है। खासकर फेसबुक जैसी साइट पर दोस्त बनाने के मामले में हम दिल खोलकर फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट करते हैं लेकिन भूल जाते हैं कि यहां हम अपनी तस्वीरों से लेकर कई निजी राज तक शेयर कर रहे हैं और कई ऐसे अनजान लोग भी हमारे दोस्त बन चुके हैं जिन्हें हम बस नाम या चेहरे से ही जानते हैं।
दरअसल, फेसबुक पर कोई जानकार दोस्ती की रिक्वेस्ट भेजे तो उसे रिजेक्ट करना भी अजीब लगता है क्योंकि सोशल नेटवर्किंग की साइट में ऐसा करने का उलटा ही असर न हो जाए। फेसबुक में इस उलझन का हल है और कई प्राइवेसी टूल दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप कंट्रोल कर सकते हैं कि कौन आपकी तस्वीरें देखें, कौन आपके कॉमेंट्स पढ़े और किन लोगों तक आपके स्टेटस मेसेज पहुंचें। हालांकि कई यूजर्स इनसे वाकिफ हैं, फिर भी एक बड़ा वर्ग ऐसे यूजर्स का है जो इनके बारे में कम जानता है।
सबसे पहले ऐसे टूल, जिनकी मदद से आप अपनी पोस्ट, फोटो, कॉमेंट्स, स्टेटस, दूसरों के कॉमेंट्स तक अपनी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद कुछ लोगों से छिपा सकते हैं। ऐसा करने से आपको उन लोगों से प्राइवेसी मिलेगी, जिन्हें मजबूरी में आपने दोस्त तो बना लिया, लेकिन आप उनके साथ कुछ शेयर नहीं करना चाहते। इसके लिए अपने फेसबुक पेज के सबसे राइट में जाएं, जहां अकाउंट लिखा है। इस पर क्लिक करने पर कई ऑप्शन आते हैं। इनमें से प्राइवेसी सेटिंग का ऑप्शन चुनें। इस पर क्लिक करेंगे तो एक पेज आएगा, जिसमें लिखा होगा शेयरिंग ऑन फेसबुक। यहां आपके पास कई ऑप्शन हैं जिनकी मदद से आप तय कर सकते हैं कि फेसबुक पर आपके स्टेटस, पोस्ट, कॉमेंट व तमाम दूसरी जानकारी कौन-कौन देख सकता है - दोस्त, दोस्तों के दोस्त, हर कोई या अन्य।
इसकी मदद से आप बेसिक प्राइवेसी कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन सारी जानकारी को कुछ खास दोस्तों के बीच भी सेंसर करना है, तो इस पर नीचे लेफ्ट की तरफ एक लिंक दिया है कस्टमाइज सेटिंग्स। इस पर क्लिक करें। इसके बाद आपके पास एक लंबी लिस्ट आ जाएगी, जिसमें वे सभी ऐक्टिविटी दी हैं जो आप करते है, मसलन स्टेटस, फोटो, कॉमेंट्स, फोटो टैगिंग और अन्य। अब आप यहां सेट कर सकते हैं कि कौन इसे देखे। मसलन आपकी पोस्ट को कौन देखे या कॉमेंट कर सके इसके लिए सेटिंग तय करते वक्त, फ्रेंड्स, फ्रेंड्स ऑफ फ्रेंड्स और एवरिवन के अलावा एक ऑप्शन मिलेगा कस्टमाइज सेटिंग, इस पर आप अपनी फ्रेंड लिस्ट में से किसी का भी नाम डालेंगे तो वह बैन हो जाएगा। यह सेटिंग आप अपनी किसी भी ऐक्टिविटी के लिए कर सकते हैं और मजबूरी में बना दोस्त आपका फेस भी फेसबुक में नहीं देख पाएगा।
कुछ और काम की बातें
फेसबुक पर कई ठग भी मौजूद हैं, जो आपकी पर्सनल जानकारी चुराकर उसका मिसयूज करना चाहते हैं। इनका फेवरिट तरीका होता है फेक प्रोफाइल बनाकर आप तक दोस्ती का हाथ बढ़ाना। ऐसे लोगों से बचने के लिए चौकस रहने की जरूरत है क्योंकि कई बार ये आपके दोस्तों के प्रोफाइल में जाकर उनकी फोटो चुराकर और बाकी डीटेल कॉपी कर उनके नाम से प्रोफाइल बना सकते हैं और आपको इनवाइट भेज सकते हैं। ऐसे में किसी दोस्त के प्रोफाइल पर थोड़ा भी शक है तो क्रॉस चेक कर लें।
फेसबुक पर मौजूद हर प्रोफाइल गूगल सर्च किया जा सकता है और यह साइबर गुंडों को आप तक पहुंचने का आसान रास्ता देता है। इसे भी आप रोक सकते हैं। फेसबुक में ऐसा बटन दिया गया है जिसकी मदद से गूगल सर्च को रोका जा सकता है। इसके लिए प्राइवेसी कंट्रोल में जाकर फेसबुक सर्च रिजल्ट में जाकर ओनली फ्रेंड्स का ऑप्शन क्लिक कर दें। पब्लिक सर्च ऑप्शन को भी डी-सेलेक्ट करना न भूलें।
जानकार आगाह करते हैं कि कभी अपनी पूरी डेट ऑफ बर्थ को प्रोफाइल में न डालें, बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड से जुड़े हैकर्स के लिए यह काम की साबित हो सकती है। आप प्रोफाइल पेज पर जाकर इंफो टैब में क्लिक करें। यहां एडिट इंफर्मेशन टूल की मदद से आप यह तय कर सकते हैं कि लोगों को सिर्फ दिन और महीना दिखे, जन्म का साल नहीं।
फटबॉल के वायरस
आईपीएल हो या फीफा वर्ल्ड कप, ऐसे बड़े मौके साइबर गुंडों के लिए बेहतरीन साबित होते हैं। दरअसल इन दिनों लोग खेल से जुड़े रोमांच में डूबकर ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए नेट एक्सेस करते हैं और हैकर्स उन्हें बेवकूफ बनाने के टूल तैयार कर लेते हैं।
एंटी-वायरस कंपनी ट्रेंड माइक्रो ने आगाह किया है इस वक्त रिस्क काफी ज्यादा है इसलिए फीफा वर्ल्ड कप के नाम से आ रही जानकारी पर सचेत रहें। ट्रेंड माइक्रो के कंट्री मैनेजर (इंडिया एंड सार्क) अमित नाथ ने बताया कि फीफा के नाम से पहले स्पैम की पड़ताल पिछले साल 2009 से ही हो चुकी है। हमारे रिसर्चर ने अब आगाह किया है कि पीडीएफ फाइल वाला एक अटैचमेंट चल रहा है जिसमें लॉटरी जीतने का दावा किया गया है। इसमें लोगों से उनकी पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। इसे फीफा के वाइस प्रेजिडेंट के नाम से भेजा जा रहा है जबकि यह फ्रॉड है। इसमें कहा गया है कि साउथ अफ्रीकन फुटबॉल असोसिएशन ने यह लॉटरी निकाली है।
जानकार आगाह करते हैं कि और भी कई तरह के स्पैम अटैक हो रहे हैं। दरअसल लोग मैच के विडियो लिंक खोज रहे हैं और इसी के नाम पर फर्जी नाम से गेम कर रहे हैं। सिमेंटैक की एक रिसर्च के मुताबिक फीफा पर आधारित स्पैम में 27 फीसदी का जोरदार इजाफा हुआ है। कई साइट्स खिलाड़ियों और देशों की टी-शर्ट बेचने के नाम पर धोखा कर रही हैं। इनमें ऑर्डर लेने के दौरान आपसे जो डीटेल ली जाती हैं, वहां भरपूर सिक्युरिटी नहीं होती और इसे चुरा लिया जाता है।
पता करें कि वेबसाइट के पास वेरीसाइन या किसी दूसरी एजेंसी का सिक्युरिटी सर्टिफिकेट है या नहीं। किसी भी ऐरी-गैरी साइट से तो शॉपिंग कभी न करें। इसके अलावा एक और वायरस फुटबॉल के नाम पर चल रहा है जिसमें एक्सेल शीट में वर्ल्ड कप का पूरा शिड्यूल दिया गया है। इसे क्लिक करने पर आपको शिड्यूल तो मिलता है लेकिन एक टेम्प फाइल आपके पीसी में घुस जाती है और हैकर को आपके कंप्यूटर का कंट्रोल दे देती है। इसलिए किसी भी गैरजानकार सोर्स से आ रही फुटबॉल से जुड़ी संदिग्ध मेल को इस्तेमाल न करने में ही समझदारी है।
क्या आपका कम्प्यूटर देरी से स्टार्ट होता है ?
Posted By: Dharmendra Goyal - 9:10 pmअगर आपका कम्प्यूटर नॉर्मल स्टार्ट नहीं होता तो इसका मतलब है कि आपके पीसी के किसी सॉफ्टवेयर कॉम्पोनेंट या ड्राइवर में कुछ प्रॉब्लम है। इसके लिए आप अपने कम्प्यूटर को क्लीन बूट कर सकते हैं। इसके लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें :
स्टेप 1 :
स्टेप 2 :
- पहले Start, फिर Run पर क्लिक करें। इसके बाद Msconfig टाइप करें और Ok पर क्लिक करें।
- System Configuration Utility डायलॉग बॉक्स में जाकर General टैब पर क्लिक करें। इसके बाद Selective Start-up पर क्लिक करें।
- फिर Process SYSTEM.INI file पर टिक हटाएं।
- इसके बाद Process WIN.INI file पर टिक हटाएं।
- Load Startup Items पर टिक हटाएं। वेरिफाई कर लें कि Load System Services और Use Original BOOT.INI पर टिक लगा हो।
- Services टैब पर क्लिक करें।
- Hide All Microsoft Services को सिलेक्ट करें। इससे कंप्यूटर को चलाने वाली सभी जरूरी सविर्स छिप जाएंगी। सिर्फ वे दिखेंगी, जिनसे शायद आपका कम्प्यूटर स्लो चल रहा है। अगर आप Disabled All ऑप्शन को सिलेक्ट कर लेते हैं तो ये सभी सर्विस Disabled हो जाएंगी। अगर आप इनमें से किसी सर्विस की पहचान रखते हैं, जैसे एंटी वायरस स्कैनर, इस सर्विस को Disabled न करें।
- अब आप Ok को क्लिक करें। और कम्प्यूटर को री-स्टार्ट कर दें। कम्प्यूटर के स्टार्ट होने पर Don’t show this message or launch the system configuration utility when windows start लिखा आएगा।Ok को क्लिक करें।
सीडी ड्राइव का ड्राइव लेटर चेंज करना
Posted By: Dharmendra Goyal - 9:16 pm
ड्राइव लैटर चेंज करने के लिए यह रूट फॉलो करें :
- स्टार्ट
- कंट्रोल पैनल
- ऐडमिनिस्ट्रेटिव टूल्स
- कंप्यूटर मैनेजमेंट
- डिस्क मैनेजमेंट
- इसके बाद उस पार्टिशन पर राइट क्लिक करें, जिसका नाम आप चेंज करना चाहते हैं।
- इसके बाद 'चेंज ड्राइव लेटर और पाथ' चुनें।
यहां आप पार्टिशन से अपने ड्राइव लेटर को ऐड, रिमूव और चेंज कर सकते हैं।
इंटेल करेगा स्मार्टफोन पेश
Posted By: Dharmendra Goyal - 10:58 pmकंप्यूटर चिप बनाने वाली मशहूर कंपनी इंटेल कॉपरेरेशन अगले साल स्मार्टफोन के बाजार में उतरेगी। इसके लिए इंटेल ने मूर्सटाउन नाम की खास चिप बनाई है। फिलहाल दुनियाभर में बिकने वाले ज्यादातर लैपटॉप और डेस्कटॉप पीसी में इंटेल के बनाए चिप का ही इस्तेमाल हो रहा है।
एक वेबसाइट के अनुसार, इंटेल की मूर्सटाउन चिप मोबाइल में बैटरी की खपत को कम करेगी। मल्टीटास्किंग की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्मार्टफोन की प्रोसेसिंग पावर भी ज्यादा होगी। मोबाइल बाजार में मोटोरोला और एचटीसी जैसी कंपनियां ब्रिटिश कंपनी आर्म की चिप इस्तेमाल कर रही हैं। इंटेल की नई चिप नोकिया फोन के आने वाले मॉडल्स में इस्तेमाल होगी।
माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक पर फेसबुक
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:58 pmसोशल नेटवर्किग साईट फेसबुक की बढती लोकप्रियता को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने आउटलुक पर फेसबुक को शामिल कर लिया है। इस लोकप्रिय ईमेल प्रोग्राम पर फेसबुक यूजर्स स्टेटस अपडेट, फोटो और मित्रों द्वारा भेजे गए वॉल पोस्ट को देख सकेंगे। माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक पर 'पीपल पेन' नामक बॉक्स में अब यूजर्स फेसबुक फ्रेंड्स की प्रोफाइल फोटो और गतिविघियों को देख सकेंगे।
माइक्रोसाफ्ट ऑफिस के प्रोडक्ट मेनेजर पेको कॉन्ट्रेरास ने एक ब्लॉग पोस्ट पर बताया कि आउटलुक पर जिस तरह आप मित्रों या अन्य लोगों के ईमेल पढते समय उनसे जुडे रह सकते हैं उसी तरह आप सोशल नेटवर्क भी देख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि माइक्रोसाफ्ट ने फरवरी में दो अन्य सोशल नेटवक माई स्पेस और लिंक्डइन को आउटलुक के साथ जोडा है जिसे आउटलुक सोशल कनेक्टर के नाम से जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि 2003 और 2007 के आउटलुक यूजर्स माइक्रोसॉफ्ट डाउनलोड सेंटर से आउटलुक सोशल क नेक्टर के नए संस्करण को डाउनलोड कर सकते हैं जबकि 2010 के आउटलुक यूजर्स इसे माइक्रोसॉफ्ट अपडेट से प्राप्त कर सकतें है।
जीमेल में जोड़ें सिग्नेचर लोगो
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:47 pmअगर आप गूगल की ई-मेल सर्विस, यानी जीमेल का इस्तेमाल करते हैं तो आप इसमें अपने सिग्नेचर के साथ लोगो भी जोड़ सकेंगे। अभी तक जीमेल में सिर्फ सादे टेक्स्ट सिग्नेचर ही मंजूर किए जाते थे।
सिग्नेचर के फांट साइज, कलर को बदला नहीं जा सकता था। मौजूदा व्यवस्था में सिग्नेचर के साथ तस्वीर या कोई और लिंक को जोड़ने की भी सुविधा नहीं थी। अब जीमेल के सेटिंग्स पर जाकर आप अपना सिग्नेचर बना सकते हैं।
गूगल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर मार्क निकेल ने बताया कि जीमेल का लेटेस्ट डेस्कटॉप वर्जन ही इस नए सिग्नेचर को सपोर्ट करेगा।
पुराने एचटीएमएल वर्जन,मोबाइल जीमेल आदि में सिर्फ सादे सिग्नेचर ही चलेंगे।
How to add Signature Logo :
How to add Signature Logo :
Step 1: Insert text to signature
- Sign in Gmail.
- Select Settings at the top right of Gmail page.
- Under the General tab, select Signature heading.
- Click on the button next to the box.
- Type you desired text to make signature.
- Choose Save Changes.
Step 2: Insert picture, logo or link to your Gmail signature
It’s not lucky for us that Gmail doesn’t support inserting html code, graphics, or rich text format into the signature. If you still want to put a picture to your signature, you can follow this way. You copy the picture on the internet by right-click on the picture, click copy and paste into the email, you have to do this every time you send an email. Otherwise, you can save a draft with a picture signature, and every time you want to create an email, you will compose on the saved draft.
दुनिया का पहला डबल टच स्क्रीन लैपटॉप
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:51 pmजापानी कंपनी तोशिबा ने दुनिया का पहला डबल टच स्क्रीन लैपटॉप पेश किया है। विंडोज 7 प्लेटफार्म पर चलने वाले इस लैपटॉप में कोई की-पैड नहीं है। सब कुछ टचस्क्रीन से ही ऑपरेट करना होगा। वाई-फाई, ब्लू टूथ और 3जी वर्जन के साथ इस लैपटॉप मे वचरुअल की-बोर्ड है। आप अपने मोबाइल फोन नेटवर्क के जरिए भी इस पर इंटरनेट सर्फिग कर सकते हैं।
कीमत है 1400 डॉलर भारतीय मुद्रा में करीब 64,645 रु.।
माउस का काम करेंगी उंगलियां
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:44 pmकंप्यूटर के कर्सर मूवमेंट के लिए आपको माउस की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए ऐसे माउस का इंतजाम किया है,जो दिखाई नहीं देता। असल में कंप्यूटर मॉनिटर के बगल में इन्फ्रारेड ट्रैकिंग कैमरा लगा रखा है।
यूएसबी पोर्ट पर नकली ड्राइव
Posted By: Dharmendra Goyal - 12:51 pmआपके कंप्यूटर के यूएसबी पोर्ट पर नकली ड्राइव लगाकर कोई डाटा चोरी कर सकता है। यहां तक कि ऐसे ड्राइव की मदद से हार्डवेयर ट्रोजन वायरस भी डाले जा सकते हैं, जो कंप्यूटर को मिनटों में क्रैश कर सकता है।
किंग्सटन स्थित रॉयल मिलिटरी कॉलेज के कंप्यूटर इंजीनियरों ने पहली बार इसका पता लगाया है। उनका कहना है कि ऐसा कोई नकली ड्राइव लगाए जाने पर भी कंप्यूटर उसे पहचान नहीं पाएगा, क्योंकि यूएसबी प्रोटोकॉल में इसके लिए कोई तरीका ही नहीं सुझाया गया है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह से यूएसबी संचालित माउस या की-बोर्ड के मेक और मॉडल का पता लगाकर नकली डिवाइस बनाई जा सकती है।
यह भी रखें ध्यान
Posted By: Dharmendra Goyal - 1:58 pmअगर आपके जीमेल अकाउंट को किसी ने आपकी जानकारी के बगैर खोला है और ई-मेल भेजा है, तो अब आप इसकी जानकारी हासिल कर सकते हैं। जीमेल का यह नया फीचर अब आपको बता पाएगा कि आपका अकाउंट कहां से और कब खोला गया था?
हालांकि, यह फीचर जीमेल में पहले से ही मौजूद था, लेकिन यूजर्स की नजर इस पर कम ही पड़ती थी। इसलिए हाल ही गूगल ने यूजर्स की तरफ इसका ध्यान आकर्षित करने के लिए इस जानकारी को बैनर के रूप में देने का फैसला किया है।
और भी है सिक्योरिटी ऑप्शन: यदि आप जीमेल अकाउंट मेंटेन कर रहें हैं, तो कुछ ही समय में आप अपने इनबॉक्स के ऊपर यह जानकारी बैनर के रूप में देख पाएंगे। यह फीचर आपको यह भी बताएगा कि अकाउंट खोलने के लिए किस ब्राउजर और आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया गया है।
इसके अलावा गूगल के अन्य सिक्योरिटी फीचर भी लगातार एक्टिव रहेंगे। गूगल की ओर से दी गई इन सुविधाओं का एक मकसद तेजी से लोकप्रिय हो रही सोशल नेटवर्किग से मुकाबले का है, तो दूसरा अपने यूजर्स को फ्रॉड से बचाने का।
पता चलेगा कहां खुला अकाउंट: आईटी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इससे निश्चित ही गूगल के यूजर्स की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही इसका फायदा यूजर और कंपनी दोनों को ही मिलेगा। एक्सपर्ट्स ने बताया कि यदि आप हर रोज एक ही देश से अकाउंट एक्सेस करते हैं। कभी भी,किसी भी जगह से अकाउंट खोला जाता है और किसी दूसरे द्वारा उसमें बदलाव किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में जीमेल आपके अकाउंट विंडो में एक वॉर्निग मैसेज शो करेगा। इससे यूजर को यह आसानी से पता चल जाएगा कि उनका अकाउंट कहीं हैक हो रहा है। इसके साथ ही डिटेल्स ऑप्शन पर क्लिक करने के साथ ही यूजर जान सकेंगे कि कौनसा आईपी एड्रेस अकाउंट खोलने के लिए यूज किया गया था।
यह भी रखें ध्यान : गूगल के इस फीचर के साथ-साथ यूजर्स को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने ई-मेल चेक करने के बाद लॉगआउट करें और थोड़े -थोड़े समय पर अपना पासवर्ड बदलते रहें। इसके साथ ही ऐसा पासवर्ड यूज करें, जिसे आसानी से जाना न जा सके। इस तरह की सावधानियां बरतकर यूजर्स अपने अकाउंट को सुरक्षित रख सकते हैं।
जी-मेल हैक? ऐसे लगाएं पता
Posted By: Dharmendra Goyal - 1:54 pmअगर आप जी-मेल अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं तो हैकिंग से बचने के लिए आपको अपनी लॉग-इन एक्टिविटीज याद रखनी चाहिए। यदि नहीं है, तो जी-मेल खोलकर पेज के सबसे आखिर में देखें। वहां पिछले एक्सेस का समय और तारीख होगी। साथ ही आईपी एड्रेस और डाटा का भी जिक्र होगा। उस आईपी एड्रेस से आप हैकर का लोकेशन भी जान सकते हैं।
जी-मेल एक्सेस करने के बाद आपको लॉग-इन टाइम और तारीख याद रखनी चाहिए। इससे भी हैकिंग का पता लगाया जा सकता है। अगर आप घर और दफ्तर दोनों जगह लॉग-इन हैं तो इसका भी पता लगाया जा सकता है। हैक की आशंका पर पासवर्ड फौरन बदल देना चाहिए।
Posted By: Dharmendra Goyal - 4:14 pm
आइ ऍम ट्रांसलेटर
एक ऐसा सोफ्टवेयर है जो कि अपने में संहित डिक्सनरी के द्वारा लगभग २० भाषाओ का रूपांतरण कर सकता है व इसमें दिए गए वर्चुअल की-बोर्ड के माध्यम से लगभग ४० भाषाओ का विश्लेष्ण कर सकता है .
ImTranslator provides additional multilingual capabilities to Internet Explorer for more efficient communication in foreign languages. With ImTranslator you can translate in different languages, enter multilingual text, check it for correctness, print results and send e-mail. ImTranslator includes: Online Translator, which performs real-time translation for Arabic, Bulgarian, Chinese, Croatian, Czech, Danish, Dutch, English, Finnish, French, German, Greek, Hindi, Italian, Japanese, Korean, Norwegian, Polish, Portuguese, Romanian, Russian, Spanish and Swedish languages and their combinations. Translator includes back translation. Virtual Keyboard covers 40 languages. Dictionary provides translation in 20 language pairs. The program has spell-checker for English, French, German, Italian, Portuguese, Russian, Spanish, and Ukrainian. The interface of ImTranslator is localized for English, Arabic, Chinese, Dutch, French, German, Italian, Japanese, Korean, Portuguese, Russian and Spanish.
- Price: Free
- Operating system: Windows 95/98/Me/2000/XP/Vista/नत
- DOWNLOAD (फाइल साइज़ - 228.58 KB)
रिव्यू
ImTranslator Plugin for Internet Explorer is a multifeatured translator that allows users to highlight text and translate it by right-clicking. The program's many features make it a great option for quick online translations.
The program's interface is fairly simple, with a box for entering text and another below it where the translation appears. Small graphical buttons give users access to the program's other features, such as a dictionary and virtual keyboard. Everything is very intuitive, allowing users to translate text without interrupting the flow of their Web browsing. The program's features are impressive. Using Google Translate, the program supports translation of 43 languages. It also contains 41 different keyboard styles. If users aren't sure what language they're trying to translate, the program can automatically detect it. Users can check spelling, e-mail-translated text directly from the program, and decode incorrectly displayed Cyrillic text. Most impressively, users can listen to spoken renditions of text in 10 languages, although using this feature takes users to another Web page. The online Help file gives detailed instructions for the program's use. If we have any complaint about the program, it's the advertising that it includes, especially on the text-to-speech site. But we're willing to overlook this, given the program's other features.
ImTranslator Plugin for Internet Explorer is free. It installs desktop icons without asking and leaves a folder behind upon removal. We recommend this program to all users who are looking for a quick and powerful translation utility that is well-integrated into their Internet Explorer experience.
LogoSmartz Logo Maker
Posted By: Dharmendra Goyal - 11:18 pmविवरण :
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Windows XP में हिंदी फॉण्ट का प्रयोग
Posted By: Dharmendra Goyal - 5:32 pm
अब जब आप कुछ भी टाइप करेंगे तो हिंदी में ही लिखा हुवा दिखाई देगा कुछ इस तरह -
(AKSHAR) for web browsing.
DVDIVEB.TTF | DVDIVEI.TTF | DVDIVEN.TTF | DVDIVEX.TTF
(KRUTI) for Reports etc.
K010.TTF
(SHUSHA)
Shusha.ttf | Shus_02.ttf | Shus_05.ttf
(SHIVAJI)
Shivaji 01 | Shivaji 02
(KIRAN, AARTI)
Kiran
(DEVANAGARI)
Devanagari
(MARATHI LEKHANI, SHARADA, SARAS)
Marathi
(MARATHI TIRKAS, KANAK<, ROUPYA, VAKRA)
Marathi 2
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